हाइकु नवगीत :
संजीव
.
टूटा विश्वास
शेष रह गया है
विष का वास
.
कलरव है
कलकल से दूर
टूटा सन्तूर
संजीव
.
टूटा विश्वास
शेष रह गया है
विष का वास
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कलरव है
कलकल से दूर
टूटा सन्तूर
जीवन हुआ
किलकिल-पर्याय
मात्र संत्रास
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जनता मौन
संसद दिशाहीन
नियंता कौन?
किलकिल-पर्याय
मात्र संत्रास
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जनता मौन
संसद दिशाहीन
नियंता कौन?
प्रशासन ने
कस लिया शिकंजा
थाम ली रास
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अनुशासन
एकमात्र है राह
लोक सत्ता की.
कस लिया शिकंजा
थाम ली रास
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अनुशासन
एकमात्र है राह
लोक सत्ता की.
जनांदोलन
शांत रह कीजिए
बढ़े उजास
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शांत रह कीजिए
बढ़े उजास
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१३.२.२०१५
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