कार्यशाला
कुण्डलिया
साजन हैं मन में बसे, भले नजर से दूर
सजनी प्रिय के नाम से, हुई जगत मशहूर -मिथलेश
हुई जगत मशहूर, तड़पती रहे रात दिन
अमन चैन है दूर, सजनि का साजन के बिन
निकट रहे या दूर, नहीं प्रिय है दूजा जन
सजनी के मन बसे, हमेशा से ही साजन - संजीव
कुण्डलिया
साजन हैं मन में बसे, भले नजर से दूर
सजनी प्रिय के नाम से, हुई जगत मशहूर -मिथलेश
हुई जगत मशहूर, तड़पती रहे रात दिन
अमन चैन है दूर, सजनि का साजन के बिन
निकट रहे या दूर, नहीं प्रिय है दूजा जन
सजनी के मन बसे, हमेशा से ही साजन - संजीव
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