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शनिवार, 9 फ़रवरी 2019

karya shala kavita karen

आये कविता करें: ११
पर्ण छोड़ पागल हुए, लहराते तरु केश ।
आदिवासी रूप धरे, जंगल का परिवेश ।। - संदीप सृजन
- सलिल सर! आपने मेरे दोहे पर टीप दी धन्यवाद .... मुझे पता है तीसरे चरण में जगण ऽ।ऽ हो रहा है इसे आप सुधार कर भेजने का कष्ट करे
= यहाँ एक बात और विचारणीय है. वृक्ष पत्ते अर्थात वस्त्र छोड़ पागल की तरह केश या डालियाँ लहरा रहे हैं. इसे आदिवासी रूप कैसे कहा जा सकता है? आदिवासी होने और पागल होने में क्या समानता है?
- क्या नग्न शब्द का उपयोग किया जाए
= नंगेपन और अदिवासियों में भी कोइ सम्बन्ध नहीं है. उनसे अधिक नग्न नायिकाएं दूर दर्शन पर निकट दर्शन कराती रहती हैं.
- आदिवासी शब्द प्रतीक है .... जैसे अंधे को सूरदास कहा जाता है
= लेकिन यह एक समूचा संवर्ग भी है. क्या वह आहत न होगा? यदि आप एक आदिवासी होते तो क्या इस शब्द का प्रयोग इस सन्दर्भ में करते?
पर्ण छोड़ पागल हुए, तरु लहराते केश
शहर लीलता जा रहा, जंगल का परिवेश. -यह कैसा रहेगा?
-बिम्ब के प्रयोग में क्या आपत्ति? ... कई लोगो ने ये प्रयोग किया है
= मुझे कोई आपत्ति नहीं. यदि आप वही कहना चाहते हैं जो व्यक्त हो रहा है तो अवश्य कहें. यदि अनजाने में वह व्यक्त हो रहा है जो मंतव्य नहीं है तो परिवर्तन को सोचें. दोहा आपका है. जैसा चाहें कहें. मैं अपना सुझाव वापिस लेता हूँ. आपको हुई असुविधा हेतु खेद है.
- शहरी परवेश का पत्ते त्यागने से कोई संबध नही होता ..... पेड कही भी हो स्वभाविक प्रक्रिया मे वसंत मे पत्ते त्याग देते है. सर! कोई असुविधा या खेद की बात नही .... मै जानता हूँ आप छंद के विद्वान है... मेरे प्रश्न पर आप मुझे संतुष्ट करे तो कृपा होगी .. मै तो लिखना सीख रहा हूँ. मुझे समाधान नही संतुष्टि चाहिए ... जो आप दे सकते है.
= साहित्य सबके हितार्थ रचा जाता है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता रचनाकार को होती ही है. मुझे ऐसा लगता है कि अनावश्यक किसी को मानसिक चोट क्यों पहुँचे ? उक्ति है: 'सत्यम ब्रूयात प्रियं ब्रूयात मा ब्रूयात सत्यम अप्रियम' अर्थात जब सच बोलो तो प्रिय बोलो / अप्रिय सच को मत ही बोलो'.
- नीलू मेघ जी का एक दोहा देखें
महुआ भी गदरा गया , बौराया है आम
मौसम ने है काम किया मदन हुआ बदनाम...
यहाँ 'मौसम ने है काम किया' १३ के स्थान पर १४ मात्राएँ हैं. कुछ परिवर्तन ' मौसन ने गुल खिलाया' करने से मात्रिक संतुलन स्थापित हो जाता है, 'गुल खिलाना' मुहावरे का प्रयोग दोहे के चारूत्व में वृद्धि करता है.

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