एक रचना
*
चौकीदार
मछलियों के
मछुआरे बन बैठे।
*
मगर कह रहा
मेंढक-मुक्त
कराना है तालाब।
खतरा बहुत
झींगुरों से कह
मार-मार ऐंठे।
*
प्रभु तंबू में
आश्रम में
भगतन करती है मौज।
देख प्रसाद
मंदिरों में
मूषक पंडे पैठे।
*
'मी टू' करे
शिकायत रजनी
सूरज थाने में।
थानेदार
बना बादल
धमकाता है ठें-ठें।
*
संजीव, ६.२.२०१८
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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बुधवार, 6 फ़रवरी 2019
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आचार्य संजीव वर्मा सलिल
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