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शुक्रवार, 16 अगस्त 2013

gazal: amitabh tripathi






ग़ज़ल:
 अमिताभ त्रिपाठी
बह्र- फ़ाइलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन

दर्द ऐसा, बयाँ नहीं होता
जल रहा हूँ, धुआँ नहीं होता

अपने अख़्लाक़ सलामत रखिये
वैसे झगड़ा कहाँ नहीं होता

आसमानों से दोस्ती कर लो
फिर कोई आशियाँ नहीं होता

इश्क़ का दौर हम पे दौराँ था
ख़ुद को लेकिन ग़ुमाँ नहीं होता

कोई सब कुछ भुला दे मेरे लिये
ये तसव्वुर जवाँ नहीं होता

जब तलक वो क़रीब रहता है
कोई शिकवा ज़ुबाँ नहीं होता

पाँव से जब ज़मीं खिसकती है
हाथ में आसमाँ नहीं होता

तक्ती की कोशिश

फ़ा

ला
तुन

फ़ा

लुन
फ़े
लुन
दर्‌


सा

याँ

हीं
हो
ता
जल

हा
हूँ
धु
आँ

हीं
हो
ता
अप्‌
ने
अख़्‍
ला

सल्‍

मत
रखि
ये
वै
से
झग
ड़ा

हाँ

हीं
हो
ता


मा
नों
से
दो

ती
कर
लो
फिर
को


शि
याँ

हीं
हो
ता
इश

का
दौ

हम
पे
दौ
राँ
था
ख़ुद
को
ले
किन
गु
माँ

हीं
हो
ता
को

सब
कुछ
भु
ला
दे
मे
रे
लिये
ये

रो
सा

वाँ

हीं
हो
ता
जब

लक
वो

री

रह
ता
है
को

शिक
वा
ज़ु
बाँ

हीं
हो
ता
पाँ

से
जब

मीं
खि
सक
ती
है
हा

में


माँ

हीं
हो
ता
लाल अंकित अक्षरों पर मात्रा गिराई गई है।


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