कुंडली सलिला:
कुत्ते
संजीव
*
कुत्ते सहज सुप्राप्य हैं, देख न जाएँ चौंक
कुत्ते
संजीव
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कुत्ते सहज सुप्राप्य हैं, देख न जाएँ चौंक
कुछ काटें बेबात ही, कुछ चुप होते भौंक
कुछ चुप होते भौंक, पैर दो कुछ के पाये
देशद्रोह-आतंक हमेशा इनको भाये
टुंडा-भटकल जैसों को मिल मारें जुत्ते
अतिथि सदृश मत पालें शर्मिन्दा हों कुत्ते
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देखें निकट चुनाव तो, कुत्ते माइक थाम
चौराहों पर करेंगे, निश-दिन ट्राफिक जाम
निश-दिन ट्राफिक जाम, न अनुशासन मानेंगे
निश-दिन ट्राफिक जाम, न अनुशासन मानेंगे
लोकतंत्र को हर पल, सूली पर टाँगेंगे
'सलिल' मुलायम मैडम मोदी को प्रभु लेखें
बच पायें तो बचें, निकट जब कुत्ते देखें
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काट सकें जो पालते, नेता वे ही श्वान
या नेता-गुण ग्रहण कर, काटें कुत्ते कान
काटें कुत्ते कान, सत्य क्या बतला भाया?
या नेता-गुण ग्रहण कर, काटें कुत्ते कान
काटें कुत्ते कान, सत्य क्या बतला भाया?
वैक्सीन क्या? कहाँ मिले? ला दे- कर दाया
सुन सवाल कुत्ते कहें, खड़ी न करिए खाट
कुत्ता कुत्ते का इलाज, ज्यों जहर जहर की काट
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कुत्ता कुत्ते का इलाज, ज्यों जहर जहर की काट
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16 टिप्पणियां:
Mahipal Tomar via yahoogroups.com
संजीव जी अच्छी और संजीदा कुण्डलियाँ ,सभी खुश , स्वयं ( कुत्ते ) ,पालनेवाले और राहगीर पाठक भी ,बधाई इन सुघड़ कुंडलियों हेतु ।
अब कुछ ' शांत रस ' पर हो जाये , आपका मंच पर स्थान " अविसंसा " के मानकों पर खरा उतर सकता है ( निर्मल हो के लिखें )।
सादर ,शुभेच्छु ,
महिपाल
दादा
नमन
"अविसंसा" मेरे लिए नया शब्द है. इसका अर्थ बता सकें तो आभार होगा। शब्द कोष में भी नहीं पा सका. अतः आपको कष्ट देने की विवशता है.
पावस की ऋतु मेघराज करते जल बरसाते हैं
तट से मृतिका ढूह नीर संग बह आते हैं
अमल-विमल जो सलिल मलिन दिखता है लेकिन
पंक पचा लेता, शत पंकज खिल आते हैं
अग्रज से आशीष पा
,
अनुज रहे चुप शांत
पत्थर मारें दूर से, ताक-ताक दिग्भ्रांत
काट न पर फुसकारना, पढ़ी संत की सीख
इसीलिये सकुशल अनुज रहा आपको दीख
achal verma
क्या खूब कही है ।तालियाँ ।
Mahesh Dewedy via yahoogroups.com
कुत्ते कुंडली रोचक है बधाई सलिल जी.
महेश चंद्र द्विवेदी
Mahipal Tomar via yahoogroups.com
संजीव जी आपकी हैसियत और योगदान ," हिंदी के भले के लिए के क्षेत्र में ", अतुलनीय है , " अविसंसा " चार स्वतंत्र शब्दों का समुच्चय है ,जैसे LASER है अंग्रेजी में , अ = अध्यात्म ,वि = विज्ञानं ,सं = संगीत ,सा = साहित्य ,अब आप ही बताएं कि , इन चारों क्षेत्रों में , व्यक्तिगत राग द्वेष , संकीर्ण विचार ( मैं ही सही ) , व्यक्तिगत निष्ठां / विश्वास ( धर्म ) का कोई स्थान हो सकता है । आशय , ये किसी बंधन के आदी नहीं ( लेकिन उच्श्रंखल भी नहीं ) है ,आप में नेतृत्व क्षमता है , आपके कृतित्व में सहजता , सततता है वह किसी मौसम या परिस्थिति की उपज नहीं ,तब आप निरपेक्ष , निर्वैयक्तिक यानी सर्व-व्यापक रह सकते हैं तो क्यों न रहें ?
सादर ,शुभेच्छु ,
महिपाल
Ram Gautam
आ आचार्य संजीव 'सलिल' जी,
आपकी कुत्ते कुंडली सुंदर और रोचक हैं मुहावरों का भी
अच्छा प्रयोग हुआ है | आपको बधाई और साधुवाद !!
सादर- गौतम
Dr.M.C. Gupta via yahoogroups.com
बहुत सुंदर है---
कुत्ते सहज सुप्राप्य हैं, देख न जाएँ चौंक
कुछ काटें बेबात ही, कुछ चुप होते भौंक
कुछ चुप होते भौंक, पैर दो कुछ के पाये
देशद्रोह-आतंक हमेशा इनको भाये
--ख़लिश
Kusum Vir via yahoogroups.com
आदरणीय आचार्य जी,
कुत्तों पर ऐसी कुंडली मैंने आजतक नहीं पढ़ी l
अद्भुत रचना l
भोंकने वाले और काटने वाले कुत्तों के अलावा कुछ कुत्ते ऐसे भी होते हैं
जो हमेशा अपने स्वामी के सामने दुम हिलाते रहते हैं l
उन्हें कितना भी दुत्कारो, वे बाज़ नहीं आते l
ढेरों बधाई और सराहना l
सादर,
कुसुम वीर
dks poet
आदरणीय सलिल जी,
कुत्ता सलिला अच्छी लगी।
बधाई स्वीकारें
सादर
धर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’
dks poet
आदरणीय सलिल जी,
कुत्ता सलिला अच्छी लगी।
बधाई स्वीकारें
सादर
धर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’
Sitaram Chandawarkar via yahoogroups.com
आदरणीय आचार्य जी,
बहुत सुन्दर कुंडलियां। बधाई!
पढाई के दौरान शौकत थानवी का ’कुत्ते’ शीर्षक का पाठ पढा था। उसके पश्चात अब आप की कुंडलियां पढीं। मज़ा आ गया।
एक चीनी कहावत है कि ’आप का सब से प्यारा कुत्ता आप के कपडे सब से मलिन करता है’।
सस्नेह
सीताराम चंदावरकर
Sitaram Chandawarkar via yahoogroups.com
आदरणीय आचार्य जी,
बहुत सुन्दर कुंडलियां। बधाई!
पढाई के दौरान शौकत थानवी का ’कुत्ते’ शीर्षक का पाठ पढा था। उसके पश्चात अब आप की कुंडलियां पढीं। मज़ा आ गया।
एक चीनी कहावत है कि ’आप का सब से प्यारा कुत्ता आप के कपडे सब से मलिन करता है’।
सस्नेह
सीताराम चंदावरकर
Shriprakash Shukla via yahoogroups.com
आदरणीय आचार्य जी,
सुंदर । बधाई हो।
सादर
श्रीप्रकाश शुक्ल
sn Sharma via yahoogroups.com
आ० आचार्य जी
बड़ी सटीक और सामयिक कुण्डलियाँ हैं । ढेर सराहना के साथ
सादर
कमल
Pranava Bharti via yahoogroups.com
आ. संजीव जी !
कुत्ते-कुंडली को पढ़कर लगा कि किसी भी विषय पर प्रभावी रचना की जा सकती है ।
फिर आप तो सिद्ध हैं,इसमें कोई संशय है ही नहीं ।
साधुवाद
सादर
प्रणव
सर्व माननीय
महिपाल जी, अचल जी, महेश जी, राम गौतम जी, खलिश जी, कुसुम जी, सज्जन जी, सीताराम जी, श्री प्रकाश जी, कमल जी, प्रणव जी
कुंडली को सराहने हेतु आपका आभार.
आपने रचना के विविध पहलुओं पर ध्यान दिया आभारी हूँ. यह रचना हास्य और शांत रस का सम्मिश्रण कही जा सकती है. मुहावरों का प्रयोग रचना की सरसता और सहज ग्राह्यता में वृद्धि करता है. कुसुम जी कुत्ते पर अनेक रचनाकारों ने गद्य-पद्य में पर्याप्त लिखा है.प्रणव जी के औदार्य को नमन करते हुए निवेदन है कि काव्य का विद्यार्थी मात्र हूँ, त्रुटियाँ हो जाती हैं, जैसे तीसरी कुंडली के अंतिम चरण में मात्राधिक्य दोष है. इस हेतु खेद है. 'जूते' के लिए 'जुत्ते' जैसे प्रयोग काका हाथरसी और अन्यों ने भी किये हैं.
रचनाकार सामयिक रचनाओं में प्रतीकों का प्रयोग करता है. आतंकियों की गिरफ्तारी का समाचार पाकर यह रचना हुई, वास्तव में आतंकियों या चरित्रहीनों के हीनों इस पशु के नाम से संबोधित किया जाना न्यायोचित नहीं है किन्तु परंपरा है. कुछ दिन पूर्व दुराचरण के आरोप में गिरफ्तार किये गए बाबा जी को किसी ने फेसबुक पर इस पशु का नाम दिया तो मैंने लिखा भी पशु प्रकृति द्वारा निर्धारित नियमों का उल्लंघन नहीं करते. अतः, मानवीय कमजोरियों को कुत्ते, गधे, उल्लू, बिल्ली या अन्य द्वारा संकेतित किया जाना प्रकृति पर आधारित होने के बाद भी
कभी-कभी खलता है.
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