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शनिवार, 20 अक्तूबर 2012

माहिया: दिन आस निरास के हैं -शशि पाधा

माहिया:
दिन आस निरास के हैं
शशि पाधा 
*
दिन आस निरास भरे  
धीरज रख रे मन
सपने विश्वास  भरे
 *
सूरज फिर आएगा
बादल छंटने दो
वो फिर मुस्काएगा
 *
हर दिवस सुहाना है
जीवन उत्सव सा
हँस हँस के मनाना है
 *
दुर्बल मन धीर धरो
सुख फिर  लौटेंगे
इस पल की पीर हरो
 *
बस आगे बढ़ना है
बाधा आन  खड़ी
साहस से लड़ना है
 *
थामो ये हाथ कभी  
राहें लम्बी हैं 
क्या दोगे साथ कभी  
 *
फिर भोर खड़ी द्वारे
वन्दनवार सजे
क्यों बैठे मन हारे
 *
नदिया की धारा है
थामों पतवारें
उस पार किनारा है
 *
हाथों की रेखा है
खींची विधना ने
वो कल अनदेखा है
 *
दिन कैसा निखरा है
अम्बर की गलियाँ
सोना सा बिखरा है
 *
शशि पाधा १७ सितम्बर २०१२

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