हलचल :
(साहित्य का उद्देश्य सर्व कल्याण ही है. समाज सुधार हेतु आगे आये बिना केवल त्रुटि इंगित करने से साहित्यकार का दायित्व पूरा नहीं होता. रचना कर्म सुधार का वातावरण बनाता है किन्तु सकारात्मक बदलाव हेतु अपने-अपने परिवेश में सजग होकर जमीनी कार्य भी आवश्यक है. ऐसी गतिविधियों तथा साहित्यिक आयोजनों का संक्षिप्त विवरण इस स्तम्भ में दिया जा सकता है.)
गाँधी-शास्त्री जयन्ती पर पर्यावरण शुद्धिकरण हेतु धरना
जबलपुर, २ अक्टूबर २०१२. संस्कारधानी जबलपुर में सक्रिय सांस्कृतिक-साहित्यिक संस्थाओं ने एक साथ मिलकर गाँधी-शास्त्री जयंती को पर्यावरण शुद्धिकरण दिवस के रूप में मनाया. इस अवसर पर अभियान जबलपुर के अध्यक्ष तथा इन्डियन जिओलोजिकल सोसायटी के को-चैयरमैन श्री संजीव वर्मा 'सलिल', त्रिवेणी परिषद् की अध्यक्ष श्रीमती साधना उपाध्याय, कदम जबलपुर के अध्यक्ष श्री योगेश गनोरे, साइंस कोलेज एल्यूमिनाई ५७ के अध्यक्ष श्री पालन, कलचुरी महिला मंडल की अध्यक्ष श्रीमती सुषमा चौकसे, जल संरक्षण मंच के श्री विनोद शर्मा, प्रकृति जबलपुर की सचिव डॉ. मुकुल तिवारी, लायनेस नर्मदा की अध्यक्ष सुश्री आशा रिछारिया, पाथेय के सचिव श्री राजेश पाठक प्रवीण, कादम्बरी जबलपुर कके सचिव श्री सुरेन्द्र पाण्डेय, योगमणि ट्रस्ट की सचिव डॉ. छाया राय तथा महिला जाग्रति मंडल की अध्यक्ष श्रीमती मधु सोनी के नेतृत्व में सामाजिक गतिविधियों के केंद्र मालवीय चौक पर प्रातः १० बजे से संध्या ६ बजे तक सामूहिक धरने तथा आम सभा का आयोजन किया गया.
इसके पूर्व जिलाध्यक्ष जबलपुर श्री गुलशन बावरा तथा नगर निगम आयुक्त श्री राजपूत को संस्थाओं के संयुक्त प्रतिनिधि मंडल ने ज्ञापन सौंपकर पारित किये गये प्रस्तावों का ज्ञापन देते हुए विस्तृत चर्चा कर आगामी दुर्गा पूजन तथा अन्य पर्वों पर पर्यावरण शुद्धि हेतु प्रेरित करते हुए, विसंगतियों को इंगित कर सम्यक समाधान सुझाये. अधिकारी द्वय ने इस पहल का स्वागत करते हुए अपनी कठिनाइयों का संकेत दिया तथा जागरूक नागरिकों के समर्थन को अपना संबल निरूपित किया.
सद्भावना सद्विचार मंच के बैनर तले गठित संयुक्त समिति के प्रस्ताव निम्न हैं:
१. देव प्रतिमाएं मिट्टी, कागज, प्राकृतिक रंगों तथा पर्यावरण के अनुकूल पदार्थों से ही बनाई जाएँ. रासायनिक रंगों, प्लास्टिक तथा प्लास्टर ऑफ़ पेरिस जैसे पदार्थों का प्रतिमा निर्माण तथा साज-सज्जा में उपयोग प्रतिबंधित हो.
२. प्रत्येक वार्ड में स्थपित की जानेवाली मूर्तियों की संख्या सीमित तथा पूर्व निर्धारित हो.
३. प्रसाद, भंडारा आदि पत्तलों में वितरित किया जाए.
४. पेय जल के लिए प्लास्टिक पाउच के स्थान पर प्याऊ लगाकर जल वितरण हो.
५. साज-सज्जा में बिजली कनेक्शन लिये बिना तारों से कनेक्शन लेने पर कड़ी रोक हो. कनेक्शन की अनुमति देते समय विद्युत् भार यथा संभव कम से कम रखा जाए.
६. प्रति मूर्ति ध्वनि विस्तारक यंत्रों की संख्या २ से अधिक न हो तथा रात्रि ११ बजे से सवेरे ६ बजे तक प्रतिबंधित हो.
७. सड़क पर मूर्तियाँ न रखने दी जाएँ ताकि यातायात अवरुद्ध न हो.
८. शोभा यात्रा में मूर्तियों के सामने केवल धार्मिक गीत, भजन तथा संस्कृतिक नृत्य हों. अश्ल-द्विअर्थी फ़िल्मी गीतों को प्रतिबंधित किया जाए.
९. मूर्ति विसर्जन नदियों तथा तालाबों में न कर इस हेतु बनाये गये विसर्जन कुंड में ही हो. प्रशासन विसर्जन कुंड तकल पूर्ण कराकर सभी व्यवस्थाएं सुचारू करे.
१०. मूर्ति विसर्जन के पूर्व साज-सज्जा में प्रयुक्त ऐसी सामग्री जो किसी के काम आ सकती हो प्रसाद रूप में उसे दे दी जाए.
११. चंदा उगाही में दबाव तथा बल प्रयोग रोका जाए. ऐसा होने पर शिकायत हेतु दूरभाष क्र. १०० पर शिकायत मिलते ही तत्काल कार्यवाही की जाए. चंदे हेतु पावती पुस्तिका प्रशासन दे तथा संकलित राशि के आय-व्यय का अंकेक्षण हो.
समिति ने यह भी निर्णय लिया है कि जन जागरण हेतु दुर्गा मूर्ति स्थापना समितियों से संपर्क कर उन्हें सुधारों हेतु प्रेरित किया जाएगा. समिति के सदस्य शिक्षा संस्थानों में जाकर विद्यार्थियों को इस अभियान से जोड़ेंगे.
जिला प्रशासन ने इस अभियान को गंभीरता से लेते हुए त्वरित कार्यवाही करते हुए प्रतिमा स्थापना की पूर्व समितियों के लिये एस. डी. एम. कार्यालय में पंजीयन करने के आदेश जारी कर दिये हैं तथा अन्य बिन्दुओं पर कार्यवाही प्रारंभ की है.
*****
(साहित्य का उद्देश्य सर्व कल्याण ही है. समाज सुधार हेतु आगे आये बिना केवल त्रुटि इंगित करने से साहित्यकार का दायित्व पूरा नहीं होता. रचना कर्म सुधार का वातावरण बनाता है किन्तु सकारात्मक बदलाव हेतु अपने-अपने परिवेश में सजग होकर जमीनी कार्य भी आवश्यक है. ऐसी गतिविधियों तथा साहित्यिक आयोजनों का संक्षिप्त विवरण इस स्तम्भ में दिया जा सकता है.)
गाँधी-शास्त्री जयन्ती पर पर्यावरण शुद्धिकरण हेतु धरना
जबलपुर, २ अक्टूबर २०१२. संस्कारधानी जबलपुर में सक्रिय सांस्कृतिक-साहित्यिक संस्थाओं ने एक साथ मिलकर गाँधी-शास्त्री जयंती को पर्यावरण शुद्धिकरण दिवस के रूप में मनाया. इस अवसर पर अभियान जबलपुर के अध्यक्ष तथा इन्डियन जिओलोजिकल सोसायटी के को-चैयरमैन श्री संजीव वर्मा 'सलिल', त्रिवेणी परिषद् की अध्यक्ष श्रीमती साधना उपाध्याय, कदम जबलपुर के अध्यक्ष श्री योगेश गनोरे, साइंस कोलेज एल्यूमिनाई ५७ के अध्यक्ष श्री पालन, कलचुरी महिला मंडल की अध्यक्ष श्रीमती सुषमा चौकसे, जल संरक्षण मंच के श्री विनोद शर्मा, प्रकृति जबलपुर की सचिव डॉ. मुकुल तिवारी, लायनेस नर्मदा की अध्यक्ष सुश्री आशा रिछारिया, पाथेय के सचिव श्री राजेश पाठक प्रवीण, कादम्बरी जबलपुर कके सचिव श्री सुरेन्द्र पाण्डेय, योगमणि ट्रस्ट की सचिव डॉ. छाया राय तथा महिला जाग्रति मंडल की अध्यक्ष श्रीमती मधु सोनी के नेतृत्व में सामाजिक गतिविधियों के केंद्र मालवीय चौक पर प्रातः १० बजे से संध्या ६ बजे तक सामूहिक धरने तथा आम सभा का आयोजन किया गया.
इसके पूर्व जिलाध्यक्ष जबलपुर श्री गुलशन बावरा तथा नगर निगम आयुक्त श्री राजपूत को संस्थाओं के संयुक्त प्रतिनिधि मंडल ने ज्ञापन सौंपकर पारित किये गये प्रस्तावों का ज्ञापन देते हुए विस्तृत चर्चा कर आगामी दुर्गा पूजन तथा अन्य पर्वों पर पर्यावरण शुद्धि हेतु प्रेरित करते हुए, विसंगतियों को इंगित कर सम्यक समाधान सुझाये. अधिकारी द्वय ने इस पहल का स्वागत करते हुए अपनी कठिनाइयों का संकेत दिया तथा जागरूक नागरिकों के समर्थन को अपना संबल निरूपित किया.
सद्भावना सद्विचार मंच के बैनर तले गठित संयुक्त समिति के प्रस्ताव निम्न हैं:
१. देव प्रतिमाएं मिट्टी, कागज, प्राकृतिक रंगों तथा पर्यावरण के अनुकूल पदार्थों से ही बनाई जाएँ. रासायनिक रंगों, प्लास्टिक तथा प्लास्टर ऑफ़ पेरिस जैसे पदार्थों का प्रतिमा निर्माण तथा साज-सज्जा में उपयोग प्रतिबंधित हो.
२. प्रत्येक वार्ड में स्थपित की जानेवाली मूर्तियों की संख्या सीमित तथा पूर्व निर्धारित हो.
३. प्रसाद, भंडारा आदि पत्तलों में वितरित किया जाए.
४. पेय जल के लिए प्लास्टिक पाउच के स्थान पर प्याऊ लगाकर जल वितरण हो.
५. साज-सज्जा में बिजली कनेक्शन लिये बिना तारों से कनेक्शन लेने पर कड़ी रोक हो. कनेक्शन की अनुमति देते समय विद्युत् भार यथा संभव कम से कम रखा जाए.
६. प्रति मूर्ति ध्वनि विस्तारक यंत्रों की संख्या २ से अधिक न हो तथा रात्रि ११ बजे से सवेरे ६ बजे तक प्रतिबंधित हो.
७. सड़क पर मूर्तियाँ न रखने दी जाएँ ताकि यातायात अवरुद्ध न हो.
८. शोभा यात्रा में मूर्तियों के सामने केवल धार्मिक गीत, भजन तथा संस्कृतिक नृत्य हों. अश्ल-द्विअर्थी फ़िल्मी गीतों को प्रतिबंधित किया जाए.
९. मूर्ति विसर्जन नदियों तथा तालाबों में न कर इस हेतु बनाये गये विसर्जन कुंड में ही हो. प्रशासन विसर्जन कुंड तकल पूर्ण कराकर सभी व्यवस्थाएं सुचारू करे.
१०. मूर्ति विसर्जन के पूर्व साज-सज्जा में प्रयुक्त ऐसी सामग्री जो किसी के काम आ सकती हो प्रसाद रूप में उसे दे दी जाए.
११. चंदा उगाही में दबाव तथा बल प्रयोग रोका जाए. ऐसा होने पर शिकायत हेतु दूरभाष क्र. १०० पर शिकायत मिलते ही तत्काल कार्यवाही की जाए. चंदे हेतु पावती पुस्तिका प्रशासन दे तथा संकलित राशि के आय-व्यय का अंकेक्षण हो.
समिति ने यह भी निर्णय लिया है कि जन जागरण हेतु दुर्गा मूर्ति स्थापना समितियों से संपर्क कर उन्हें सुधारों हेतु प्रेरित किया जाएगा. समिति के सदस्य शिक्षा संस्थानों में जाकर विद्यार्थियों को इस अभियान से जोड़ेंगे.
जिला प्रशासन ने इस अभियान को गंभीरता से लेते हुए त्वरित कार्यवाही करते हुए प्रतिमा स्थापना की पूर्व समितियों के लिये एस. डी. एम. कार्यालय में पंजीयन करने के आदेश जारी कर दिये हैं तथा अन्य बिन्दुओं पर कार्यवाही प्रारंभ की है.
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3 टिप्पणियां:
deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.com
vicharvimarsh
हार्दिक बधाई संजीव जी ! आपने बापू के सिद्धांतों को अपनाते हुए जनहित में अपेक्षित और बहुत ही सराहनीय कार्य किया !
सादर,
दीप्ति
sn Sharma द्वारा yahoogroups.com
vicharvimarsh
आ० आचार्य जी,
अभियान जबलपुर के अध्यक्ष तथा इन्डियन जिओलोजिकल सोसाइटी के सह-अध्यक्ष होने
के गौरव के लिये आपको बधाई | आयोजित सभा में इतने स्पष्ट कार्यक्रम का प्रारूप बनाने के
लिये भी आपका योगदान सराहनीय है |
सादर
कमल
हलचल : गाँधी-शास्त्री जयन्ती पर पर्यावरण शुद्धिकरण हेतु धरना »
हलचल : (साहित्य का उद्देश्य सर्व कल्याण ही है. समाज सुधार हेतु आगे आये बिना केवल त्रुटि इंगित करने से साहित्यकार का दायित्व पूरा नहीं होता. रचना कर्म सुधार का वातावरण बनाता है किन्तु सकारात्मक बदलाव हे...
+1
kamlesh kumar diwan
sahi hai
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