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रविवार, 14 अक्तूबर 2012

चित्र पर कविता: हाइकु

सद्भाव 

इस स्तम्भ की अभूतपूर्व सफलता के लिये आप सबको बहुत-बहुत बधाई. एक से बढ़कर एक रचनाएँ अब तक प्रकाशित चित्रों में अन्तर्निहित भाव सौन्दर्य के विविध आयामों को हम तक तक पहुँचाने में सफल रहीं हैं. संभवतः हममें से कोई भी किसी चित्र के उतने पहलुओं पर नहीं लिख पाता जितने पहलुओं पर हमने रचनाएँ पढ़ीं. 

चित्र और कविता की कड़ी १. संवाद, २. स्वल्पाहार,
३. दिल-दौलत, ४. प्रकृति, ५ ममता,  ६.  पद-चिन्ह, ७. जागरण, ८. परिश्रम, ९. स्मरण तथा १०. उमंग के पश्चात् प्रस्तुत है चित्र ११. सद्भाव. ध्यान से देखिये यह नया चित्र और रच दीजिये एक अनमोल कविता.


हाइकु 

संजीव 'सलिल'
*
कौन हो तुम?
पीठ फेर हो खड़े 
मौन हो तुम।
*
बड़े हो तुम?
क्यों न करते बात 
अड़े हो तुम। 
*
हम हैं छोटे
दूरी करते दूर 
तुम हो खोटे। 
*
कैसे मानव?
मिटाया न अंतर 
हो अमानव।
*
मैं और तुम 
हमेशा मुस्कुरायें 
हाथ मिलायें। 
*
गिला  भुलायें 
गले से मिल गले 
खिलखिलायें।
*
हम हैं अच्छे 
दिल से मिला दिल 
मन के सच्चे।
*******
 
 
 

1 टिप्पणी:

- madhuvmsd@gmail.com ने कहा…

- madhuvmsd@gmail.com

आ. संजीव जी
मेरी अनियम ता को क्षमा करें देर से ही परन्तु चित्र ११ पर आपकी रचना बेहद सुन्दर लगी .
मधु