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रविवार, 24 मई 2009

साहित्य समाचार:हिन्दी साहित्य सम्मलेन प्रयाग-शताब्दी समारोह, 'सलिल' ''वागविदांवर सम्मान'' से विभूषित

Saturday, May 23, 2009
: : साहित्य समाचार : :

हिन्दी साहित्य सम्मलेन प्रयाग - शताब्दी समारोह

- आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' ''वागविदांवर सम्मान'' से विभूषित -
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अयोध्या, १०-११ मई '0९ । समस्त हिन्दी जगत की आशा का केन्द्र हिन्दी साहित्य सम्मलेन प्रयाग अपने शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में देव भाषा संस्कृत तथा विश्व-वाणी हिन्दी को एक सूत्र में पिर्पने के प्रति कृत संकल्पित है। सम्मलेन द्वारा राष्ट्रीय अस्मिता, संस्कृति, हिंदी भाषा तथा साहित्य के सर्वतोमुखी उन्नयन हेतु नए प्रयास किये जा रहे हैं। १० मई १९१० को स्थापित सम्मलेन एकमात्र ऐसा राष्ट्रीय संस्थान है जिसे राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन तथा अन्य महान साहित्यकारों व समाजसेवियों का सहयोग प्राप्त हुआ। नव शताब्दी वर्ष में प्रवेश के अवसर पर सम्मलेन ने १०-११ मई '0९ को अयोध्या में अखिल भारतीय विद्वत परिषद् का द्विदिवसीय सम्मलेन हनुमान बाग सभागार, अयोध्या में आयोजित किया गया। इस सम्मलेन में २१ राज्यों के ४६ विद्वानों को सम्मलेन की मानद उपाधियों से सम्मानित किया गया।

१० मई को 'हिंदी, हिंदी साहित्य और हिंदी साहित्य सम्मलेन' विषयक संगोष्ठी में देश के विविध प्रान्तों से पधारे ११ वक्ताओं ने विद्वतापूर्ण व्याख्यान दिए । साहित्य वाचस्पति डॉ। बालशौरी रेड्डी, अध्यक्ष, तमिलनाडु हिंदी अकादमी ने इस सत्र के अध्यक्षता की। इस सत्र का संचालन डॉ। ओंकार नाथ द्विवेदी ने किया। स्वागत भाषण डॉ। बिपिन बिहारी ठाकुर ने दिया। प्रथम दिवस पूर्वान्ह सत्र में संस्कृत विश्व विद्यालय दरभंगा के पूर्व कुलपति डॉ। जय्मंत मिश्र की अध्यक्षता में ११ उद्गाताओं ने 'आज संस्कृत की स्थिति' विषय पर विचार व्यक्त किए। विद्वान् वक्ताओं में डॉ। तारकेश्वरनाथ सिन्हा बोध गया, श्री सत्यदेव प्रसाद डिब्रूगढ़, डॉ. गार्गीशरण मिश्र जबलपुर, डॉ. शैलजा पाटिल कराड, डॉ.लीलाधर वियोगी अंबाला, डॉ. प्रभाशंकर हैदराबाद, डॉ. राजेन्द्र राठोड बीजापुर, डॉ. नलिनी पंड्या अहमदाबाद आदि ने विचार व्यक्त किए

अपरान्ह सत्र में प्रो. राम शंकर मिश्र वाराणसी, डॉ. मोहनानंद मिश्र देवघर, पर. ग.र.मिश्र तिरुपति, डॉ. हरिराम आचार्य जयपुर, डॉ. गंगाराम शास्त्री भोपाल, डॉ. के. जी. एस. शर्मा बंगलुरु, पं. श्री राम डेव जोधपुर, डॉ. राम कृपालु द्विवेदी बंद, डॉ. अमिय चन्द्र शास्त्री मथुरा, डॉ. भीम सिंह कुरुक्षेत्र, डॉ. महेशकुमार द्विवेदी सागर आदि ने संस्कृत की प्रासंगिकता तथा हिंदी--संस्कृत की अभिन्नता पर प्रकाश डाला. यह सत्र पूरी तरह संस्कृत में ही संचालित किया गया. श्रोताओं से खचाखच भरे सभागार में सभी वक्तव्य संस्कृत में हुए.

समापन दिवस पर ११ मई को डॉ. राजदेव मिश्र, पूर्व कुलपति सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी की अध्यक्षता में ५ विद्द्वजनों ने ज्योतिश्पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती के प्रति प्रणतांजलि अर्पित की. सम्मलेन के अध्यक्ष साहित्य वाचस्पति श्री भगवती प्रसाद देवपुरा, अध्यक्ष हिंदी साहित्य सम्मलेन प्रयाग की अध्यक्षता में देश के चयनित ५ संस्कृत विद्वानों डॉ. जय्म्न्त मिश्र दरभंगा, श्री शेषाचल शर्मा बंगलुरु, श्री गंगाराम शास्त्री भोपाल, देवर्षि कलानाथ शास्त्री जयपुर, श्री बदरीनाथ कल्ला फरीदाबाद को महामहिमोपाध्याय की सम्मानोपाधि से सम्मानित किया गया.

११ संस्कृत विद्वानों डॉ. मोहनानंद मिश्र देवघर, श्री जी. आर. कृष्णमूर्ति तिरुपति, श्री हरिराम आचार्य जयपुर, श्री के.जी.एस. शर्मा बंगलुरु, डॉ. रामकृष्ण सर्राफ भोपाल, डॉ. शिवसागर त्रिपाठी जयपुर, डॉ.रामकिशोर मिश्र बागपत, डॉ. कैलाशनाथ द्विवेदी औरैया, डॉ. रमाकांत शुक्ल भदोही, डॉ. वीणापाणी पाटनी लखनऊ तथा पं. श्री राम्दावे जोधपुर को महामहोपाध्याय की सम्मानोपाधि से सम्मानित किया गया.
२ हिन्दी विद्वानों डॉ. केशवराम शर्मा दिल्ली व डॉ वीरेंद्र कुमार दुबे को साहित्य महोपाध्याय तथा २८ साहित्य मनीषियों डॉ. वेदप्रकाश शास्त्री हैदराबाद, डॉ. भीम सिंह कुरुक्षेत्र, डॉ. कमलेश्वर प्रसाद शर्मा दुर्ग, आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' जबलपुर, डॉ. महेश कुमार द्विवेदी सागर, श्री ब्रिजेश रिछारिया सागर, डॉ. मिजाजीलाल शर्मा इटावा, श्री हरिहर शर्मा कबीरनगर, डॉ, रामशंकर अवस्थी कानपूर, डॉ. रामकृपालु द्विवेदी बांदा, डॉ. हरिहर सिंह कबीरनगर, डॉ, अमियचन्द्र शास्त्री 'सुधेंदु' मथुरा, डॉ. रेखा शुक्ल लखनऊ, डॉ. प्रयागदत्त चतुर्वेदी लखनऊ, डॉ. उमारमण झा लखनऊ, डॉ. इन्दुमति मिश्र वाराणसी, प्रो. रमाशंकर मिश्र वाराणसी, डॉ. गिरिजा शंकर मिश्र सीतापुर, चंपावत से श्री गंगाप्रसाद पांडे, डॉ. पुष्करदत्त पाण्डेय, श्री दिनेशचन्द्र शास्त्री 'सुभाष', डॉ. विष्णुदत्त भट्ट, डॉ. उमापति जोशी, डॉ. कीर्तिवल्लभ शकटा, हरिद्वार से प्रो. मानसिंह, अहमदाबाद से डॉ. कन्हैया पाण्डेय, प्रतापगढ़ से डॉ, नागेशचन्द्र पाण्डेय तथा उदयपुर से प्रो. नरहरि पंड्याको ''वागविदांवर सम्मान'' ( ऐसे विद्वान् जिनकी वाक् की कीर्ति अंबर को छू रही है) से अलंकृत किया गया.

उक्त सभी सम्मान ज्योतिश्पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती के कर कमलों से प्रदान किये जाते समय सभागार करतल ध्वनि से गूँजता रहा.

अभियंता-आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' ''वागविदांवर सम्मान'' से विभूषित

अंतर्जाल पर हिन्दी की अव्यावसायिक साहित्यिक पत्रिका दिव्य नर्मदा का संपादन कर रहे विख्यात कवि-समीक्षक अभियंता श्री संजीव वर्मा 'सलिल' को संस्कृत - हिंदी भाषा सेतु को काव्यानुवाद द्वारा सुदृढ़ करने तथा पिंगल व साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ट अवदान के लिए 'वाग्विदान्वर सम्मान' से सम्मलेन द्वारा अलंकृत किया जाना अंतर्जाल जगत के लिया विशेष हर्ष का विषय है चुकी उक्त विद्वानों में केवल सलिल जी ही अंतर्जाल जगत से न केवल जुड़े हैं अपितु व्याकरण, पिंगल, काव्य शास्त्र, अनुवाद, तकनीकी विषयों को हिंदी में प्रस्तुत करने की दिशा में मन-प्राण से समर्पित हैं.

अंतर्जाल की अनेक पत्रिकाओं में विविध विषयों में लगातार लेखन कर रहे सलिल जी गद्य-पद्य की प्रायः सभी विधाओं में सृजन के लिए देश-विदेश में पहचाने जाते हैं।

हिंदी साहित्य सम्मलेन के इस महत्वपूर्ण सारस्वत अनुष्ठान की पूर्णाहुति परमपूज्य ज्योतिश्पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती महाराज के प्रेरक संबोधन से हुई. स्वामी जी ने संकृत तथा हिंदी को भविष्य की भाषाएँ बताया तथा इनमें संभाषण व लेखन को जन्मों के संचित पुण्य का फल निरुपित किया.

सम्मलेन के अध्यक्ष वयोवृद्ध श्री भगवती प्रसाद देवपुरा, ने बदलते परिवेश में अंतर्जाल पर हिंदी के अध्ययन व शिक्षण को अपरिहार्य बताया।

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23 टिप्‍पणियां:

अनुनाद सिंह, May 23, 2009 7:12 PM ने कहा…

सलिल जी को बहुत-बहुत बधाई!

हिन्दी साहित्य सम्मेलन का हिन्दी को योगदान कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। यदि अन्तरजाल के इस युग में यदि हिन्दी साहित्य सम्मेलन भी इससे जु।द जाय तो नये युग में "आभासी" सम्मेलनों के द्वारा हिन्दी का प्रचार-प्रसार किया जा सकता है।

राजीव रंजन प्रसाद, May 23, 2009 7:35 PM ने कहा…

आचार्य संजीव सलिल जी को हार्दिक बधाई। हिन्दी और साहित्य की सेवा के लिये आपने जो मशाल थाम रखी है उससे उम्मीद जगी है। आप जैसे विद्वान मार्ग दर्शक हैं।

हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग को उद्देश्यपूर्ण आयोजन का धन्यवाद।

गौतम राजरिशी, May 23, 2009 8:39 PM ने कहा…

सलिल जी को करोड़ों बधाईयां...मेरे विचार से तो ये पुरूस्कार का भी सम्मान हुआ है।

May 23, 2009 8:39 PM

गौतम राजरिशी, May 23, 2009 8:39 PM ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
मोहिन्दर कुमार, May 23, 2009 9:25 PM ने कहा…

आचार्य जी को इस सम्मान के लिए हार्दिक शुभकामनाएं ... हिंदी के उत्थान के जिस पुन्य कार्य में आप लिप्त हैं वह निश्चय ही प्रशंसनीय है और आप ऐसे सम्मानों के अधिकारी

समयचक्र - महेन्द्र मिश्र , May 23, 2009 10:08 PM ने कहा…

सलिल जी को बहुत-बहुत बधाई

देवेश वशिष्ठ 'खबरी', May 24, 2009 12:55 AM ने कहा…

हमें फक्र होना चाहिये कि आचार्य जी जैसा मार्गदर्शक हमें उपलब्ध है... आचार्य जी को बधाईयां...
सादर
खबरी

PRAN SHARMA , UK May 24, 2009 1:54 AM ने कहा…

ACHARYA SANJIV VERMA "SALIL" JEE
KO HARDIK BADHAAEE.

nitesh, May 24, 2009 7:18 AM ने कहा…

आचार्य को हार्दिक बधाई।

Udan Tashtari, canada May 24, 2009 7:21 AM ने कहा…

सलिल जी को बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं..उनकी वजह से हम जबलपुरवासी और ब्लॉगजगत गौरवांवित हुआ....साधुवाद!!

संगीता पुरी, May 24, 2009 8:58 AM ने कहा…

सलिल जी को बहुत बहुत बधाई ।

दिव्य नर्मदा divya narmada ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`, USA May 24, 2009 9:12 AM ने कहा…

आचार्य श्री का सम्मान कर स्वयम सँस्था और हिन्दी भाषा का सम्मान हुआ है उन्हेँ हार्दिक बधाई
सविनय,
- लावण्या

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`, USA May 24, 2009 9:12 AM ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
शोभना चौरे ने कहा…

aachary ko anekanek badhai.

satish-saroj ने कहा…

satish-saroj ने कहा…
Satish Saroj मुझे, rk, rk, sanjeev, aarti को
विवरण दिखाएँ २०:४६ (1 घंटे पहले) उत्तर दें
my dr sanjeev we r proud of yur name & fame in HINDI SAHITYA yu r earning name & fame to the family of OUR PARBABA SHRI SUNDER LAL TEHSILDAR MAY GOD BLESS U WITH BEST WISHES & ASHIRBAD YURS BHAIYA /BHABHI

--- On Mon, 5/18/09

Rajiv-Malini, Sarvesh and Ratna ने कहा…

Rajiv-Malini, Sarvesh and Ratna ने कहा…
Respected Sanjeev Chachaji,
Heartiest congratulations on this tremendous achievement! It is a richly deserved recognition. We are all truly proud of you and your great work.

Our sincerest regards,

Rajiv Malini
Sarvesh and Ratna

Divya Narmada ने कहा…

विनत स्नेह‍‍ सद्भाव हित, नमन जोड़कर हाथ.

धन्य "सलिल" आशीष पा, झुका हुआ है माथ..

pramod jain ने कहा…

aap samman ke sahee paatr hain.

कल्पना जोशी ने कहा…

बेशक सलिल जी!

आप इस सम्मान के काबिल हैं. आप सभी पाठकों के प्रिय हैं. आपकी विकास यात्रा यूं ही आगे बढाती जाये, यही दुआ है.

प्रारंभ ने कहा…

सलिल जी!

बहुत-बहुत बधाई.

Dr. Arti Prasad-Dr. Sudhakar Prasad, USA ने कहा…

Arti Prasad ✆ sprasad

Respected Sanjeev Chachaji,

Heartiest congratulations on this great honor. We are very pleased to
see this well deserved recognition of you and the Verma family.

Namaste,
Arti and Sudhakar

M.M.Chatterji ने कहा…

You made the engineering community pride. Best wishes.