bhajan / vidayee-geet
चलीं जानकी प्यारी
चलीं जानकी प्यारी, सूना भया जनकपुर आज...
रोएँ अंक भर मातु सुनयना, पिता जनक बेहाल.
सूना भया जनकपुर आज...
सखी-सहेली फ़िर-फ़िर भेंटें, रखना हमको याद.
सूना भया जनकपुर आज...
शुक-सारिका न खाते-पीते, ले चलो हमको साथ.
सूना भया जनकपुर आज...
चारों सुताओं से कहें जनक, रखना दोउ कुल की लाज.
सूना भया जनकपुर आज...
कहें सुनयना भये आज से, ससुर-सास पितु-मात.
सूना भया जनकपुर आज...
गुरु बोलें: सबका मन जीतो, यही एक है पाठ.
सूना भया जनकपुर आज...
नगरनिवासी खाएं पछाडें, काहे बना रिवाज.
सूना भया जनकपुर आज...
जनक कहें दशरथ से 'करिए क्षमा सकल अपराध.
सूना भया जनकपुर आज...
दशरथ कहें-हैं आँख पुतरिया, रखिहों प्राण समान.
सूना भया जनकपुर आज...
***********
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
कुल पेज दृश्य
गुरुवार, 28 मई 2009
ॐ वन्दना: स्व. शान्ति देवी वर्मा

सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
4 टिप्पणियां:
आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
बहुत बढ़िया लिखा है आपने और उसके साथ सुंदर चित्र कमाल का है! लिखते रहिये!
मर्म-स्पर्शी बिदाई गीत. अब कहाँ सुनने को मिलते है ऐसे मधुर और करुण गीत.
heart touching and melodius.
भक्ति और मनोरंजन साथ-साथ...दुहरा लाभ...
एक टिप्पणी भेजें