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बुधवार, 20 मई 2009

भजन: चलीं जानकी प्यारी -स्व. शान्ति देवी


चलीं जानकी प्यारी, सूना भया जनकपुर आज...

रोएँ अंक भर मातु सुनयना, पिता जनक बेहाल.

सूना भया जनकपुर आज...

सखी-सहेली फ़िर-फ़िर भेंटें, रखना हमको याद.

सूना भया जनकपुर आज...

शुक-सारिका न खाते-पीते, ले चलो हमको साथ.

सूना भया जनकपुर आज...

चारों सुताओं से कहें जनक, रखना दोउ कुल की लाज.

सूना भया जनकपुर आज...

कहें सुनयना भये आज से, ससुर-सास पितु-मात.

सूना भया जनकपुर आज...

गुरु बोलें: सबका मन जीतो, यही एक है पाठ.

सूना भया जनकपुर आज...

नगरनिवासी खाएं पछाडें, काहे बना रिवाज.

सूना भया जनकपुर आज...

जनक कहें दशरथ से 'करिए क्षमा सकल अपराध.

सूना भया जनकपुर आज...

दशरथ कहें-हैं आँख पुतरिया, रखिहों प्राण समान.

सूना भया जनकपुर आज...

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3 टिप्‍पणियां:

pramod jain ने कहा…

what so ever you call it a bhajan or a folk song, it is full of melody and devotion.

mayank ने कहा…

achchha laga.

archna shrivastav ने कहा…

करुण विदाई गीत...मन भर आया. साधुवाद.