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सोमवार, 4 मई 2009

नज़्म: संजीव 'सलिल'

हथेली
सामने रखकर
खुदा से फकत
यह कहना
सलामत
हाथ हों तो
सारी दुनिया
जीत लूँगा मैं
पसीना जब
बहे तेरा
हथेली पर
गिरा बूँदें
लगा पलकों से
तू लेना
दिखेगा अक्स
मेरा ही
नया वह
हौसला देगा
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