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रविवार, 26 अप्रैल 2009

हिन्दी में ब्लॉग लेखन की विधा : संजय बेंगाणी

हिन्दी में ब्लॉग लेखन की विधा, इसकी तकनीक और इसके प्रभाव से लेकर हिन्दी ब्लॉग लेखन को आप कैसे अपने कैरियर में बदल सकते हैं, इन सभी विषयों पर प्रस्तुत है यह रोचक और शोधपूर्ण आलेख।

ब्लॉग को आप अपनी ऑन लाइन डायरी कह सकते है। आपके आसपास की कोई घटना हो या गतिविधि, या कोई दिल को छूने वाली कोई बात, आप अपनी बात किसी कविता के माध्यम से कहना चाहते हों या किसी भी समसामयिक विषय पर अपनी टिप्पणी लिखना चाहते हों, इसके लिए आपको अब अखबारों के संपादक या प्रकाशक की मेहरबानी की ज़रुरत नहीं। आज के दौर में अपनी बात को अपरिचितों से लेकर हजारों-लाखों अनजान लोगों तक पहुँचाने का सस्ता, सुलभ और असरकारी साधन है, आपका चिट्ठा यानी ब्लॉग। समाचारपत्र या पत्रिकाओं में प्रकाशित आपकी बात को कहने को तो बहुत लोग पढ़ते हैं मगर ये पढ़ने वाले वो लोग होते हैं जनको न तो आपसे और न आपके लिखे हुए से कोई लेना-देना होता है, और अगर कोई पाठक आपसे जुड़ना चाहे तो वह आपसे संपर्क भी नहीं कर सकता है। जबकि ब्लॉग पर लिखी गई आपकी बात हमेशा हर समय मौजूद रहती है इसके माध्यम से दुनिया के किसी भी कोने में बैठा कोई भी व्यक्ति आपसे तत्काल संपर्क कर सकता है। अगर आपकी बात किसी को पसंद आ जाए तो आपको उस विषय पर लिखने के लिए प्रस्ताव भी मिल सकता है और आप घर बैठे अपने लिखने का शौक पूरा करते हुए खूब पैसा कमा सकते है। यानी ब्लॉग पर लिखना, लिखने का शौक ही पूरा नहीं करता बल्कि आपके शौक के बदले में कमाई का जरिया भी बन सकता है। अगर आपके मन में लिखते हुए पैसा कमाने के बारे में किसी भी प्रकार की जिज्ञासा, हिचक या अड़चन है तो हमसे तत्काल संपर्क करें, हिन्दी मीडिया आपको ऐसे लोगों से जोड़ने की कोशिश करेंगे जिनको आप जैसे लोगों की जरुरत है।

हिन्दी ब्लॉग का इतिहास

हिन्दी ब्लॉग लेखन का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है। पहले पहल ज्ञात हिन्दी ब्लॉग आलोक व विनय द्वारा लिखे गये थे। तब से लेकर अब तक एक लम्बा सफर तय हो चुका है। आज हजारों हिन्दी ब्लॉगर सक्रिय है। तकनीकी समस्याएं भी अब काफी हद तक दूर हो गई है। यूनिकोड ने पहले ही हिन्दी की राह आसान बना दी थी, मगर शुरुआती दौर में हिन्दी लिखने के औजारों से लेकर अनेक समस्याएं थी, जिन्हे हिन्दी को नेट पर एक सम्मानित स्थान दिलाने को कृतसंकल्प तकनीक से सुसज्ज लोगो ने रात दिन एक कर सुलझाया और आज भी 24 घंटे सहायता के लिए उपलब्ध रहते है। हिन्दी ब्लॉगरी के इतिहास के बारे में सरस विवरण जाने-माने हिन्दी ब्लॉगर जितेन्द्र चौधरी के शब्दों में यहाँ पढ़ा जा सकता है। विभिन्न स्थलो पर लिखे जा रहे हिन्दी ब्लॉगो को एक ही स्थान पर अद्यतित होते तथा उनकी कड़ियों को नारद , चिट्ठाजगत तथा ब्लॉगवाणी पर देख सकते है।

ब्लॉग कहाँ लिखे जाते है?

ब्लॉग लेखन के लिए वर्डप्रेस, ब्लॉगर, लाइव जनरल जैसे स्थल मुफ्त सेवा प्रदान करते है। इसके अलावा निजी डोमेन पर भी ब्लॉग लिखे जा रहे है। अब हिन्दी मीडिया ने भी ब्लॉग लेखन की सुविधा प्रदान की है। इसके लिए आपको हिन्दी मीडिया की साइट पर लॉग इन (सत्रारम्भ) करना होगा, फिर "ब्लॉग लिखें" लिंक (कड़ी) पर जा कर आप अपना ब्लॉग लिखना शुरु कर सकते हैं।

जानें ब्लॉग की भाषा

ब्लॉग लेखन की शुरूआत अंग्रेजी में हुई वहीं नेट पर भी अंग्रेजी का अधिपत्य है, ऐसे में ब्लॉग लिखने से संबंधित अधिकांश शब्द अंग्रेजी के ही है, लेकिन ये तकनीकी शब्द हैं और आसानी से समझ में आने वाले हैं। वहीं किसी चीज के लिए पहले से ही उपलब्ध हिन्दी के शब्दों का प्रयोग करने से भी न बचे, क्योंकि हिन्दी का अपना सौन्दर्य है, शैली है। एक ब्लॉगर के रूप में अपने ब्लॉग को आम बोलचाल की सीधी-साधी भाषा में लिखें और तकनीकी शब्दों को बजाय हिन्दी का कोई भौंडा अनुवाद लिखने के उनको मूल अंग्रेजी में ही लिखें।

यहाँ कुछ ऐसे हिन्दी शब्दों की सूची है जो हजारों हिन्दी ब्लॉगर और उनसे कई गुना ज्यादा उनके पाठक भी मजे से उपयोग में ले रहे है, ये वे शब्द है जो आप हिन्दी ब्लॉग लिखते समय ध्यान में रखें तो एक दो दिन में ये परिचित से लगेंगे और अंग्रेजी के बेवजह प्रयोग से भी बच जायेंगे और हमारी हिन्दी भाषा भी विकृत होने से बचेगी।

4 टिप्‍पणियां:

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

आप की इस निर्देशिका से शतप्रतिशत सहमत!

Arvind Mishra ने कहा…

बहुत साधारण सा लेख है ! बस लिखने के लिए ही लिख दिया गया है ! ऐसे प्रयासों से किसी का भला नहीं होने वाला है -मतलब जो जिसके लिए और जिसकी ओर से लिख रहा है किसी के लिए भी नहीं !
कोई भी प्रयास हो उसमें जिम्मेदारी झलकनी चाहिए !

संजय बेंगाणी ने कहा…

यह मैने बहुत पहले किसी साइट के लिए किसी अन्य सन्दर्भ में लिखा था. यहाँ इस तरह प्रस्तुत करना मेरी समझ में नहीं आया.

Arvind Mishra ने कहा…

देखिये संवादहीनता की स्थिति उजागर हो गयी -तभी तो मैं कहूं कि संजय बेगाणी जी को इस स्टार तक के सरलीकरण की क्या जरूरत आन पडी !
अगर छात्रों के भले के लिए आप सचमुच चिंतित हैं तो उसके लिएजिम्मेदारी उठानी होगी !
मुझे खुशी है सभी पक्षों ने मेरी टिप्पणी को सकारात्कमक तरीके से लिया -शुभकामनाएं !