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गुरुवार, 24 अगस्त 2023

सोरठा सलिला

सोरठा सलिला 
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कहाँ मिले संतोष, आस पास तो है नहीं।
रीत रहा है कोष, तुष्टि नहीं मिलती कहीं।। 
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कैसे पाएँ खोज, कहाँ गुम हुई प्रेरणा। 
निरुत्तरित हो रोज, प्रश्न आपसे पूछता।। 
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यायावर प्रज्ञान, भटक रहा है चाँद पर। 
भारत का अभिमान, जनगण का अरमान है।।
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विक्रम पर प्रज्ञान, लदा हुआ बैताल बन।
जान रहा अनजान, भेजे डाटा निरंतर।। 
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लैंडर करता लैंड, जब तब रुकती श्वास हर।
है सचमुच यह ट्रेंड, सॉफ्ट लैंडिंग कर सका।।     
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