विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान : समन्वय प्रकाशन जबलपुर
४०१, विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१
चलभाष- ९४२५१८३२४४, ईमेल- salil.sanjiv@gmail.com
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आत्मीय मित्रों!
वंदे भारत भारती।
विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर का वार्षिकोत्सव समारोह २० अगस्त २०२४ को होना है। प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी रचनाकार अखिल भारतीय दिव्य नर्मदा अलंकरणों से अलंकृत होंगे। अलंकरण स्थापित करने हेतु चलभाष ९४२५१८३२४४ पर संपर्क कीजिए। वर्ष २०२३-२४ में निम्नानुसार अलंकरणों हेतु प्रविष्टियाँ (पुस्तक की २ प्रतियाँ, पुस्तक तथा लेखक संबंधी संक्षिप्त जानकारी, सहभागिता निधि ३०० रु.) विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान, ४०१, विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१ पते पर आमंत्रित हैं। प्रविष्टि प्राप्ति हेतु अंतिम तिथि ३० जून २०२४ है।
०१. स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि हिंदी रत्न अलंकरण, ५००१ रु., गद्य कृति। सौजन्य आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी जी, जबलपुर।
०२. शांतिराज हिन्दी रत्न अलंकरण, ५००१ रु.पद्य कृति। सौजन्य आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' जी, जबलपुर।
०३. राजधर जैन 'मानस हंस' अलंकरण, ५००१ रु., समीक्षा। सौजन्य डाॅ. अनिल जैन जी, दमोह।
०४. शकुंतला अग्रवाल नवांकुर अलंकरण,५५०१ रु. प्रथम कृति (वर्ष २०२२ से २०२४), सौजन्य श्री अमरनाथ अग्रवाल जी, लखनऊ।
०५. कमला शर्मा स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण, २१०० रु., हिंदी गजल। सौजन्य श्री बसंत कुमार शर्मा जी, बिलासपुर।
०६. सिद्धार्थभट्ट स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण, २१०० रु., लघुकथा। सौजन्य श्रीमती मीना भट्ट जी, जबलपुर।
०७. डाॅ. शिवकुमार मिश्र स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण, २१०० रु., छंद। सौजन्य डाॅ. अनिल वाजपेयी जी, जबलपुर।
०८. सुरेन्द्रनाथ सक्सेना स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण, २१०० रु., गीत। सौजन्य श्रीमती मनीषा सहाय जी, जबलपुर।
०९. डॉ. अरविन्द गुरु स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण, २१०० रु., कविता। सौजन्य डॉ. मंजरी गुरु जी, रायगढ़।
१०. विजय कृष्ण शुक्ल स्मृति अलंकरण, २१०० रु., निबंध / व्यंग्य लेख, सौजन्य डॉ. संतोष शुक्ल।
११. सत्याशा कला श्री अलंकरण, ११०० रु., बुंदेली साहित्य। सौजन्य डा. साधना वर्मा जी, जबलपुर।
१२. रायबहादुर माताप्रसाद सिन्हा अलंकरण, ११०० रु., देशभक्ति/बाल साहित्य साहित्य। सौजन्य सुश्री आशा वर्मा जी, जबलपुर।
१३. कवि राजीव वर्मा स्मृति कला श्री अलंकरण, ११०० रु., गायन-वादन-चित्रकारी आदि। सौजन्य आर्किटेक्ट मयंक वर्मा, जबलपुर।
१४. सुशील वर्मा स्मृति समाज श्री अलंकरण, ११०० रु., पर्यावरण व समाज सेवा। सौजन्य श्रीमती सरला वर्मा भोपाल।
अपने पूज्य/प्रियजन की स्मृति में अलंकरण हेतु प्रस्ताव आमंत्रित हैं। अलंकरण दाता को अलंकरण निधि के साथ ११००/- (अलंकरण सामग्री हेतु) जोड़कर ९४२५१८३२४४ पर भेज कर सूचित कीजिए।
पुस्तक प्रकाशन/ विमोचन
कृति प्रकाशित कराने, भूमिका/समीक्षा लेखन हेतु पांडुलिपि सहित संपर्क करें।
कृति विमोचन हेतु कृति की ५ प्रतियाँ, सहयोग राशि २१००रु. रचनाकार तथा किताब संबंधी जानकारी ३० जुलाई तक आमंत्रित है। विमोचित कृति की संक्षिप्त चर्चा कर, कृतिकार का सम्मान किया जाएगा।
वार्षिकोत्सव का आयोजन करने हेतु इच्छुक ईकाइयों से प्रस्ताव आमंत्रित हैं।
* आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल', सभापति *
* बसंत शर्मा, अध्यक्ष *
*उपाध्यक्ष- जयप्रकाश श्रीवास्तव, मीना भट्ट*
*सचिव- डॉ.अनिल बाजपेई, डॉ.मुकुल तिवारी, छाया सक्सेना * कोषाध्यक्ष- डॉ. अरुणा पांडे*
*प्रकोष्ठ प्रभारी- मनीषा सहाय, मयंक वर्मा*
३१.३.२०२४*
विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान : समन्वय प्रकाशन जबलपुर
वनमाली सृजन पीठ : जबलपुर इकाई
चलभाष ९४२५१८३२४४, ईमेल salil.sanjiv@gmail.com
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आत्मीय मित्रों!
वंदे भारत भारती।
वर्ष २०२४ आरंभ हुए लगभग डेढ़ माह हो गया है। वार्षिकोत्सव के बाद संस्था की गतिविधियाँ मंद हैं। वाट्स ऐप समूह में दैनिक सृजन -शिक्षण कार्यक्रमों के साथ हर रविवार को पूर्वाह्न ११ बजे से संत समागम (जीवंत) कार्यक्रम विधिवत संचालित हो रहा है। जबलपुर ईकाई की गोष्ठियों का आयोजन नियमित नहीं हो पा रहा है। नवनिर्वाचित कार्यकारिणी (सर्व श्री/सुश्री//श्रीमती अध्यक्ष बसंत शर्मा, उपाध्यक्ष मीना भट्ट व अश्विनी पाठक, मुख्यालय सचिव छाया सक्सेना, सचिव डॉ. अनिल बाजपेई, कोषाध्यक्ष- मनीषा सहाय, कार्यकारी सचिव हरि सहाय पाण्डेय, प्रकोष्ठ संयोजक- अस्मिता शैली संस्कृति, मुकुल तिवारी साहित्य, शोभित वर्मा विज्ञान-यांत्रिकी, अजय मिश्र प्रचार, कार्यकारिणी सदस्य प्रेम प्रकाश मिश्रा, राकेश मालवीय व प्रमोद कुमार स्वामी) कृपया, इस ओर ध्यान देने की कृपा करे।
वार्षिक सहयोग निधि-
सभी सदस्य वार्षिक सहयोग निधि १,१००/- चलभाष क्रमांक ९४२५१८३२४४ पर भेज कर स्नैप शॉट मुझे वाट्स ऐप पर यथाशीघ्र भेजें।
अखिल भारतीय दिव्य नर्मदा अलंकरण २०२४-
वर्ष २०२३ में प्रदान किए गए अलंकरण-
१. आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी जी के सौजन्य से स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि अलंकरण व ५००१ रु. सम्मान निधि।
२. आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' जी के सौजन्य से शांतिराज हिन्दी अलंकरण व ५००१ रुपये सम्मान निधि।
३. डाॅ. अनिल जैन जी दमोह के सौजन्य से राजधर जैन 'मानस हंस' अलंकरण व ५००१ रुपये सम्मान निधि।
४. श्री बसंत कुमार शर्मा जी के सौजन्य से कमला शर्मा-डौलतरं शर्मा स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण २१०० रुपये सम्मान निधि।
५. श्रीमती मीना भट्ट जी के सौजन्य से सिद्धार्थभट्ट स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण २१०० रुपये सम्मान निधि।
६. डा.अनिल वाजपेयी जी के सौजन्य से डाॅ.शिवकुमार मिश्र स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण व २१०० रु. सम्मान निधि।
७. श्रीमती मनीषा सहाय जी के सौजन्य से सुरेन्द्रनाथ सक्सेना स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण व २१०० रु. सम्मान निधि।
८. डा.साधना वर्मा जी के सौजन्य से सत्याशा नवांकुर अलंकरण व ११०० रु. सम्मान निधि।
९. सुश्री आशा वर्मा जी के सौजन्य से कवि राजीव वर्मा स्मृति हिन्दी श्री अलंकरण व ११०० रु. सम्मान निधि।
वर्ष २०२३-२४ में अलंकरण प्रदान करने हेतु निम्न अनुसार राशि प्राप्त हो चुकी है-
१. आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' जी के सौजन्य से शांतिराज हिन्दी अलंकरण व ५००१ रुपये सम्मान निधि।
२. श्री अमरनाथ जी लखनऊ के सौजन्य से शकुंतला अग्रवाल स्मृति नवांकुर अलंकरण ५५०१ रु. सम्मान निधि।
३. डाॅ. अनिल जैन जी दमोह के सौजन्य से राजधर जैन 'मानस हंस' अलंकरण व ५००१ रुपये सम्मान निधि।
४. डा. साधना वर्मा जी के सौजन्य से सत्याशा नवांकुर अलंकरण व ११०० रु. सम्मान निधि।
५. आर्किटेक्ट मयंक वर्मा के सौजन्य से कवि राजीव वर्मा स्मृति हिन्दी श्री अलंकरण व ११०० रु. सम्मान निधि।
९. सुश्री आशा वर्मा जी के सौजन्य से राय बहादुर माताप्रसाद सिन्हा स्मृति हिन्दी श्री अलंकरण व ११०० रु. सम्मान निधि।
अपने पूज्य/प्रियजन की स्मृति में अलंकरण हेतु प्रस्ताव आमंत्रित हैं। अलंकरण दाता को अलंकरण की राशि के साथ ११००/- की राशि स्मृति चिह्न, शाल आदि अन्य व्यवस्थाओं हेतु देना होती है।
पुस्तक प्रकाशन/ विमोचन
कृति प्रकाशित कराने हेतु पांडुलिपि सहित संपर्क करें। वार्षिकोत्सव का आयोजन करने हेतु इच्छुक ईकाइयों से प्रस्ताव आमंत्रित हैं।
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' बसंत शर्मा
सभापति अध्यक्ष
---आँखन देखी---
विश्ववाणी हिन्दी संस्थान- अभियान जबलपुर-वनमाली सृजनपीठ जबलपुर इकाई
साहित्योत्सव - २० अगस्त २०२३
•
भारतवर्ष का हृदय है मध्यप्रदेश। महर्षि जाबालि की कर्म और तपोभूमि जबलपुर, मध्यप्रदेश का हृदय है जिसे संत विनोबा भावे ने संस्कारधानी का विरुद प्रदान किया। इसी हृदयस्थल पर साहित्य-मनीषियों का विशाल संगम रविवार २० अगस्त २०२३ को, स्वामी दयानंद सभागार, आर्य समाज भवन, बराट मार्ग, नेपियर टाउन, जबलपुर में हुआ। अभियान के संस्थापक, संचालक, व्यवस्थापक इंजी. साहित्यकार, एडवोकेट आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' के कुशल नेतृत्व में ‘अभियान’ का वार्षिकोत्सव के अवसर विशेष आमंत्रित अतिथि थे- लखनऊ के ख्यात छंदशास्त्री- संपादक-समीक्षक इं. अमरनाथ, कवि डॉ. अवधी हरि, दतिया के साहित्यकार डॉ. अरविंद श्रीवास्तव 'असीम', दमोह से ग़ज़लकार डॉ. अनिल जैन विभाग अध्यक्ष अंग्रेजी, गुना से सॉनेटकार नीलम कुलश्रेष्ठ, उपन्यासकार मधुर कुलश्रेष्ठ तथा युवा सॉफ्टवेयर इंजीनियर कुलश्रेष्ठ, कटनी से सुकवि सुभाष सिंह, सीहोरा से अखिलेश खरे, आशा जैन तथा सुषमा खरे।
उद्घाटन तथा कार्यकारिणी सत्र
सभापति, अध्यक्ष, कार्यकारिणी पदाधिकारी तथा अतिथियों द्वारा सरस्वती पूजन एवं कोकिलकंठी गायिका अर्चना मिश्रा द्वारा सरस्वती वंदना के गायन पश्चात पूर्वाह्न १०.४५ बजे सभा की कार्यवाही प्रारंभ हुई। प्रथम सत्र में सभापति आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' की अध्यक्षता में पदाधिकारियों सर्वश्री बसंत शर्मा अध्यक्ष, छाया सक्सेना मुख्यालय सचिव तथा हरि सहाय पांडे कोषाध्यक्ष द्वारा अपने प्रतिवेदन तथा विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर की भोपाल, शिवपुरी, दिल्ली, पलामू, भीलवाड़ा तथा दमोह इकाइयों की गतिविधियों की संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत की गई। नवनिर्वाचित कार्यकारिणी (अध्यक्ष बसंत शर्मा, उपाध्यक्ष मीना भट्ट व मनीषा सहाय, मुख्यालय सचिव छाया सक्सेना, सचिव डॉ. अनिल बाजपेई, कोषाध्यक्ष-कार्यकारी सचिव हरि सहाय पाण्डेय, प्रकोष्ठ संयोजक- अस्मिता शैली संस्कृति, मुकुल तिवारी साहित्य, शोभित वर्मा विज्ञान-यांत्रिकी, अजय मिश्र प्रचार, कार्यकारिणी सदस्य प्रेम प्रकाश मिश्रा, राकेश मालवीय व प्रमोद कुमार स्वामी) ने संस्था के संविधान के पालन तथा हिंदी का अधिकतम उपयोग करने शपथ गृहण की।
कृति विमोचन सत्र
विख्यात भाषा शास्त्री उपन्यासकार डॉक्टर सुरेश कुमार वर्मा, कालिदास पीठ के निदेशक संस्कृत विभाग रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी, वैदिक साहित्य की प्रकांड पंडिता डॉक्टर इला घोष, संरक्षक सुश्री आशा वर्मा, विदुषी उपन्यासकार डॉ. चंद्रा चतुर्वेदी, वनस्पति शास्त्री नाटककार कवियत्री डाॅ. अनामिका तिवारी, संस्कृतविद डाॅ. सुमन लता श्रीवास्तव, पूर्व प्राचार्य डॉक्टर निशा तिवारी, अर्थशास्त्री द्वय डॉक्टर जयश्री जोशी एवं डॉक्टर साधना वर्मा, पूर्व न्यायाधीश द्वय मीना भट्ट-पुरुषोत्तम भट्ट, रसायन शास्त्री डॉ. अनिल बाजपेई, डाॅ.स्मृति शुक्ला विभागाध्यक्ष हिंदी मानकुँवर बाई शासकीय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, डॉ संजय वर्मा उप प्राचार्य तक्षशिला इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, प्रो.शोभित वर्मा विभाग अध्यक्ष इलेक्ट्रॉनिक तक्षशिला इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, डॉक्टर मुकुल तिवारी, इंजीनियर सुरेंद्र सिंह पवार, साहित्यकार आचार्य हरि शंकर दुबे, समीक्षक डॉक्टर वीणा धमणगाँवकर, नवगीतकार जयप्रकाश श्रीवास्तव, कवियत्री मनीषा सहाय, निष्णात चित्रकार अस्मिता शैली, गीतिका श्रीव, गायिका अंबिका वर्मा, आर्कीटेक्ट मयंक वर्मा, सुकवि डॉ. उदयभानु तिवारी 'मधुकर', प्रेम प्रकाश मिश्र, पत्रकार अजय मिश्रा, राकेश मालवीय, प्रमोद कुमार स्वामी तथा स्थानीय साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति में कृति विमोचन सत्र का शुभारंभ हुआ । स्तर के अध्यक्ष डाॅ.सुरेश कुमार वर्मा, मुख्य अतिथि इं.अमरनाथ , सभापति आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' को संचालक श्री बसंत कुमार शर्मा ने मंचासीन कराकर तिलक वंदन, माल्यार्पण आदि से यथोचित सत्कार-सम्मान कराया।
इस सत्र में तीन कृतियों का विमोचन किया गया। आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी जी द्वारा रचित हिंदी - ब्रज काव्य संग्रह 'क्षण के साथ चला चल' की विस्तृत समीक्षा डाॅ.सुमनलता श्रीवास्तव जी ने प्रस्तुत करते हुए कहा-
ओज प्रसाद मधुर भाव ग्राही रचना।
कितने जन है जग में भावुक काव्यमना।।
दूसरी कृति आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' द्वारा संपादित विश्ववाणी हिंदी संस्थान जबलपुर की प्रस्तुति साझा संग्रह- 'हिंदी साॅनेट सलिला' में देश के ३२ साॅनेटकारों के ३२१ साॅनेट संकलित हैं। संपादक श्री सलिल ने यह संकलन अपने गुरु सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार-कवि श्री सुरेश उपाध्याय जी को समर्पित की है जिनसे शालेय जीवन में हिंदी की शिक्षा प्राप्त की थी। इस अवसर पर श्री उपाध्याय जी की उपस्थिति होने में सुहागा होती। कृति के आरंभ में दिवंगत हिंदी सेवियों भगवती प्रसाद देवपुरा, विनोद निगम, जगदीश किंजल्क तथा प्रवीण सक्सेना को श्रद्धा सुमन समर्पित किए गए हैं। कृति के नेट में सोनेट विधा की दो शैलियों के शिखर हस्ताक्षरों शेक्सपियर तथा मिल्टन का सचित्र स्मरण स्वागते परंपरा है। इस कृति की विवेचना करते हुए श्रीमती छाया सक्सेना जी ने विश्व की प्रमुख भाषाओं में लोकप्रिय रहे इंग्लिश सॉनेट का अध्ययन-विश्लेषण कर, हिंदी छंद शास्त्र की परंपरानुसार रूपांतरण कर केवल ५ माह में ५० से अधिक सॉनेटकारों को छंदविधान सिखाने, उनमें से ३२ सहभागी सॉनेटकारों के ३२१ सॉनेट चयनित-संपादित- प्रकाशित करने के सारस्वत अनुष्ठान को मूर्त करने के लिए श्री सलिल को साधुवाद दिया। श्री सलिल ने इंग्लिश सॉनेट के शिल्प विधान तथा कथ्य प्रस्तुतीकरण की जानकारी देते हुए कहा कि शीघ्र ही इटैलियन सॉनेट की कार्यशाला आयोजित कर उसका संकलन प्रकाशित किया जाएगा।
तीन विश्व रिकॉर्ड -
श्री सलिल ने 'हिंदी सॉनेट सलिला' के प्रकाशन से तीन विश्व रिकॉर्ड १. हिंदी का प्रथम साझा सॉनेट संकलन, २. ३२ सॉनेटकारों का प्रथम संकलन तथा ३. ३२१ सॉनेटों का प्रथम संकलन बनने की घोषणा करतल ध्वनि के मध्य की। श्री सलिल ने वनमाली सृजन पीठ जबलपुर इकाई द्वारा संचालित अध्ययन केंद्र द्वारा संचालित गतिविधियों व कार्यक्रमों की जानकारी दी।
तीसरी कृति नवगीतकार श्री जयप्रकाश श्रीवास्तव जी के नवगीत संग्रह 'चल कबीरा लौट चल' की सारगर्भित समीक्षा करते हुए छंदविद- संपादक संजीव वर्मा 'सलिल' ने इन नवगीतों को समय साक्षी तथा नवाचारित निरूपित किया।
मुख्य अतिथि श्री अमरनाथ जी ने अभियान संस्था के जन्म के साथ अपने जुड़ाव, जबलपुर की पूर्व यात्राओं की यादों को साझा करते हुए सद्य विमोचित तीनों कृतियों के लोकप्रिय होने की कामना की।
अध्यक्ष की आसंदी से आशीषित करते हुए डॉ. सुरेश कुमार वर्मा ने संस्कारधानी जबलपुर में हिंदी व्याकरण तथा छंदशास्त्र के प्रति अनुराग तथा स्तरीय सृजन की परंपरा पर प्रकाश डालते हुए विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर के प्रयासों को सराहा।
कृति चर्चा सत्र
श्रीमती छाया सक्सेना जी के संचालन, डाॅ. इला घोष की अध्यक्षता तथा श्रीमती नीलम कुलश्रेष्ठ के मुख्यातिथ्य में विमर्श सत्र के अंतर्गत ६ पुस्तकों पर चर्चा की गई।
डाॅ.सुमनलता श्रीवास्तव जी की कृति शोधग्रंथ संगीताधिराज हृदय नारायण देव पर डाॅ. वीणा धमणगाँवकर जी ने विस्तृत चर्चा की।
दूसरी कृति श्री बसंतकुमार शर्मा जी के दोहा संग्रह ढाई आखर (भूमिका श्री नवीन चतुर्वेदी, प्रस्तावना आचार्य भगवत दुबे, आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' और डाॅ. राम गरीब पांडेय 'विकल') में १४० विषयों पर दोहे संकलित हैं। इस पर विस्तृत चर्चा की डाॅ. अनामिका तिवारी जी ने।
तीसरी कृति डाॅ. अनामिका तिवारी जी द्वारा रचित नाटक- शूर्पणखा पर प्रकाश डाला आचार्य हरिशंकर दुबे ने।
चौथी कृति डाॅ. रामसनेही लाल शर्मा 'यायावर' एवं डॉ. पार्वती गोसाईं द्वारा संपादित 'आभासी दुनिया के नवगीत' पर विस्तृत चर्चा की आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' ने। वक्ता ने अंतर्जाल पर जबलपुर के रचनाकारों के महत्वपूर्ण अवदान की स्थानीय विश्व विद्यालय द्वारा शोध कार्य में उपेक्षा को शोचनीय बताया। डॉ. स्मृति शुक्ला ने भावी शोधकार्यों में इस ओर ध्यान देने की घोषणा की।
पाँचवी कृति नित्यकल्पा तुलसी- डाॅ.चन्द्रा चतुर्वेदी जी द्वारा विरचित उपन्यास है जिस पर विस्तृत प्रकाश डालते डाॅ. स्मृति शुक्ला जी ने इसे दो पीढ़ियों के जीवन मूल्यों तथा जीवन शैली के मध्य भाव सेतु निरूपित किया।
छठी कृति माण्डवी आचार्य हरिशंकर दुबे द्वारा रचित उपन्यास है। इसके मूल में त्रेताकालीन रामानुज भरत की पत्नी माण्डवी की विरह वेदना है। कृति की समीक्षा इं.सुरेन्द्र सिंह पँवार ने की।
इस सत्र के समापन के पश्चात भोजन के लिए आमंत्रित किया गया। इतना स्वादिष्ट भोजन यदा-कदा ही नसीब हो पाता है। भोजन व्यवस्था से जुड़े श्री बसंत कुमार शर्मा जी और श्री राकेश बगड़वाल जी निःसन्देह प्रशंसा के पात्र हैं।
अलंकरण सत्र
भोजनोपरान्त अलंकरण सत्र के अध्यक्ष आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी जी और मुख्य अतिथि डाॅ. अनिल जैन रहे। संचालन श्रीमती छाया सक्सेना ने किया। इस सत्र में नौ व्यक्तियों को अलंकृत और सम्मानित किया।
इं.अमरेन्द्र नारायण को आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी के सौजन्य से स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी अलंकरण व ५००१ रु. सम्मान निधि से विभूषित किया गया।
लखनऊ से पधारे इंजी. अमरनाथ को "शांतिराज हिन्दी अलंकरण व ५००१ रुपये सम्मान निधि* आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' के सौजन्य से प्रदान किया गया।
जबलपुर के यशस्वी साहित्यकार डाॅ.सुरेश कुमार वर्मा को *राजधर जैन मानसहंस अलंकरण व ५००१ रुपये सम्मान निधि" डाॅ. अनिल जैन जी के सौजन्य से दिया गया।
जबलपुर निवासी डाॅ.निशा तिवारी को स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण व २१०० रु. रुपये सम्माननिधि श्री बसंत कुमार शर्मा के सौजन्य से भेंट की गई।
दतिया निवासी डाॅ. अरविन्द श्रीवास्तव 'असीम' को सिद्धार्थभट्ट स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण २१०० रुपये सम्मान निधि सौ. मीना भट्ट जी के सौजन्य से भेंट की गई।
डाॅ.शिवकुमार मिश्र स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण व २१०० रु. सम्मान निधि से डाॅ. अवधी हरि लखनऊ को डा.अनिल वाजपेयी जी के सौजन्य से अलंकृत किया गया।
दमोह से पधारे डा.अनिल जैन को सुरेन्द्रनाथ सक्सेना स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण व २१०० रु. सम्मान निधि मनीषा सहाय जी के सौजन्य से अलंकृत किया गया।
भोपाल की सरला वर्मा जी को सत्याशा नवांकुर अलंकरण व ११०० रु. सम्मान निधि डा.साधना वर्मा जी के सौजन्य से भेंट की गई।
गुना से पधारी श्रीमती नीलम कुलश्रेष्ठ जी को कवि राजीव वर्मा स्मृति हिन्दी श्री अलंकरण व ११०० रु. सम्मान निधि सुश्री आशा वर्मा जी के सौजन्य से भेंट की गई।
मुख्य अतिथि डॉ. अनिल जैन (विभागाध्यक्ष अंग्रेजी, संयोजक दमोह इकाई) ने समसामयिक साहित्य की समीक्षा तथा साहित्यकारो के अवदान को समादृत करने को अनुकरणीय निरूपित किया।
अध्यक्ष आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी जी ने साहित्य के मूल्यांकन को समाज में सद्विचारवर्धक निरूपित करते हुए इसके मूल में तटस्थ-निष्पक्ष दृष्टि होने पर बल दिया।
विमर्श सत्र
यह सत्र डाॅ. निशा तिवारी की अध्यक्षता तथा डाॅ. अरविन्द श्रीवास्तव 'असीम' दतिया के मुख्यातिथ्य में संपन्न हुआ। इस सत्र का संचालन श्री हरिसहाय पाण्डेय जी ने किया। इस सत्र में निम्न तीन विषयों पर विमर्श हुआ।
१.हिन्दी और आजीविका/रोजगार। इस विषय पर अर्थशास्त्री डाॅ. जयश्री जोशी से.नि. प्राचार्य ने हिंदी को रोजगारक्षम भाषा बताते हुए आँकड़े प्रस्तुत किए। डाॅ. मुकुल तिवारी नेभारत में व्यवसाय के लिए हिंदी को अपरिहार्य बताया।
२.हिन्दी और विज्ञानः शिक्षा लेखन और शोध के संदर्भ में- इस विषय पर इंजी. अमरनाथ ने तकनीकी शब्दों के भारतीय उत्स का प्रामाणिक उल्लेख किया। इंजी. संजय वर्मा (उप प्राचार्य- विभागाध्यक्ष सिविल, सचिव आई.जी.एस.) ने अभियांत्रिकी शिक्षण में हिंदी की उपादेयता प्रतिपादित की। नीलम कुलश्रेष्ठ जी ने शालेय शिक्षा में हिंदी को अपरिहार्य बताया।
३. हिन्दी का भविष्यः भविष्य की हिन्दी। इस विषय पर मुख्य वक्ता विदुषी डॉ. इला घोष ने मातृभाषा को शिक्षा, व्यवसाय तथा जीवन के सकल कार्य व्यवहार के लिए सर्वोत्तम बताया। डाॅ. अवधी हरि, मधुर कुलश्रेष्ठ आदि ने सारगर्भित विचार व्यक्त किए। मुख्य अतिथि डॉ. अरविन्द श्रीवास्तव 'असीम' ने विदेशों के साहित्यिक कार्यक्रमों में समयानुशासन की प्रशंसा कर भारत के साहित्यिक कार्यक्रमों में अनुकरण की अवश्यकत प्रतिपादित की। सत्राध्यक्ष डॉ. निशा तिवारी ने हिंदी संबंधी संवैधानिक प्रावधानों की जानकारी दी।
रचनापाठ सत्र
इस सारस्वत अनुष्ठान का समापन रचना पाठ सत्र से हुआ। इस सत्र के अध्यक्ष उपन्यासकार मधुर कुलश्रेष्ठ, मुख्य अतिथि अवधी हरि तथा संचालक प्रो. शोभित वर्मा रहे। बसंत शर्मा, मनीषा सहाय, हरिसहाय पांडे, अजय मिश्र 'अजेय', प्रेमप्रकाश मिश्र, मीना भट्ट, इंजी. अमरनाथ, नीलम कुलश्रेष्ठ, अरविन्द श्रीवास्तव 'असीम', अरुणा पाठक, छाया सक्सेना 'प्रभु', आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल', डा. शोभित वर्मा आदि अखिलेश खरे, राजेश पाठक प्रवीण, विनोद नयन, विजय तिवारी किसलय, संतोष नेमा, विजय नेमा 'अनुज', डॉ. रानू राठौड़ 'रूही' दुर्गा नागले 'पाखी' आदि ने सहभागिता कर श्रीवृद्धि की।। दिन भर रुक रुक कर होती रही जल वृष्टि के बाद काव्य रस वर्षा ने श्रोताओं को मुग्ध कर दिया। कार्यक्रम के समापन पर श्री बसंतकुमार शर्मा जी ने सभी उपस्थित व्यक्तियों का आभार व्यक्त किया।
मंच पर सक्रिय दिख रहे चेहरे तो सभी की नजर में आ रहे थे। साहिर लुधियानवी जी ने कहा था-
साज से निकली जो धुन, सबने सुनी है
तार पे जो गुजरी है, किस दिल को पता है।
इस धुन को मधुर बनाने वालों में सभी समितियों के आयोजक, संचालक और स्वयंसेवकों को उनकी निष्ठा और कर्तव्य-बद्धता के प्रति नमन और सलाम पेश न करना कृतघ्नता होगी। आइये इन चेहरों को भी पहचान लीजिए।
१-आयोजन, अलंकरण, समाचार व्यवस्था समिति- इं.संजीव वर्मा 'सलिल', अजय मिश्रा, मनीषा सहाय, डॉ. अनिल बाजपेई।
२.स्वागत, परिवहन, अलंकरण, बैनर, आमंत्रण पत्र समिति- बसंत कुमार शर्मा, हरिसहाय पांडे, प्रेम प्रकाश।
३.सरस्वती पूजन, मंच क्षव्यवस्था। मंजरी शर्मा, छाया सक्सेना।
४. भोजन व्यवस्था- बसंत कुमार शर्मा,राकेश बगड़वाल।
साहित्यकारों ने परस्पर अपनी-अपनी पुस्तकों का आदान-प्रदान और छायांकन कर इस अनुपम सारस्वत अनुष्ठान की मधुर स्मृतियाँ सहेजीं।
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अमरनाथ, लखनऊ
-बैनर -
विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान : समन्वय प्रकाशन जबलपुर
वनमाली सृजन पीठ : जबलपुर इकाई
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वार्षिकोत्सव २०२३, २०.०८.२०२३, स्वामी दयानंद सभागार, बराट मार्ग, नेपियर टाउन, जबलपुर
-- कृति विमोचन, कृति चर्चा, विचार गोष्ठी, अलंकरण, रचना पाठ --
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: “क्षण के साथ चला चल” काव्य संग्रह - आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी :
: “हिंदी सॉनेट सलिला” सामूहिक सोनेट संग्रह - सं. आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ :
: चल कबीरा लौट चल, नवगीत संग्रह - जय प्रकाश श्रीवास्तव :
संरक्षक: डॉ. सुरेश कुमार वर्मा, आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी, सुश्री आशा वर्मा, इं. अमरेन्द्र नारायण,
डॉ. इला घोष, डॉ. साधना वर्मा, डॉ. संतोष शुक्ला, डॉ. सुमनलता श्रीवास्तव।
आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ बसंत कुमार शर्मा मीना भट्ट छाया सक्सेना डॉ. अनिल वाजपेयी हरि सहाय पाण्डेय
संस्थापक सूत्रधार अध्यक्ष उपाध्यक्ष मुख्यालय सचिव सचिव कोषाध्यक्ष
अस्मिता शैली मुकुल तिवारी शोभित वर्मा अजय मिश्र प्रेम प्रकाश मिश्रा राकेश मालवीय प्रमोद कुमार स्वामी
सचिव संस्कृति सचिव साहित्य सचिव विज्ञान प्रचार सचिव ......................... कार्यकारिणी सदस्य.................................
सहयोग : इंजीनियर्स फोरम, आई.जी.एस., इंटेक, त्रिवेणी, मिलन, पाथेय, प्रसंग, अंतस, वर्तिका, हम सब, मंथन, सृजनपथ
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विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान : समन्वय प्रकाशन जबलपुर
वनमाली सृजन पीठ : जबलपुर इकाई
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वार्षिकोत्सव २०२३, २०.०८.२०२३, स्वामी दयानंद सभागार, बराट मार्ग, नेपियर टाउन, जबलपुर
कार्यक्रम विवरण
प्रात: १०.३० : वंदना सत्र- संचालक हरिसहाय पाण्डेय जी, अध्यक्ष बसंत शर्मा जी।
गणेश वंदना अर्चना गोस्वामी जी, अतिथि स्वागत (अमरनाथ जी लखनऊ , डॉ. अरविंद श्रीवास्तव 'असीम' जी दतिया, डॉ. अवधी हरि जी लखनऊ, नीलम कुलश्रेष्ठ जी - मधुर कुलश्रेष्ठ जी गुना), कार्यकारिणी प्रतिवेदन, शपथ ग्रहण।
आभार - छाया सक्सेना जी।
प्रात: ११.०० : कृति विमोचन सत्र - संचालक बसंत शर्मा जी, अध्यक्ष डॉ. सुरेश कुमार वर्मा, मुख्य अतिथि : इं. अमरनाथ जी लखनऊ। विशिष्ट अतिथि - डॉ. अरविंद श्रीवास्तव जी 'असीम' जी दतिया, डॉ. अवधी हरि जी लखनऊ, नीलम कुलश्रेष्ठ जी - मधुर कुलश्रेष्ठ जी गुना।
(समय सीमा प्रत्येक वक्ता ७ मिनिट)
१. “क्षण के साथ चला चल” काव्य संग्रह - आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी जी - डॉ, सुमन लता श्रीवास्तव जी।
२. “हिंदी सॉनेट सलिला” सामूहिक सोनेट संग्रह - सं. आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’जी - छाया सक्सेना जी।
३. चल कबीरा लौट चल, नवगीत संग्रह - जय प्रकाश श्रीवास्तव जी : बसंत शर्मा जी।
आभार - डॉ. मुकुल तिवारी जी।
अपराह्न १२.०० : कृति चर्चा सत्र - (प्रत्येक वक्ता ७ मिनिट) संचालक छाया सक्सेना जी, अध्यक्ष डॉ. इला घोष जी।
१. “संगीताधिराज ह्रदयनारायण देव” शोध - डॉ. सुमनलता श्रीवास्तव जी - डॉ. वीणा धमणगाँवकर जी।
२. “ढाई आखर” दोहा संग्रह - बसंत कुमार शर्मा जी - डॉ. अनामिका तिवारी जी।
३. “शूर्पणखा” नाटक - डॉ. अनामिका तिवारी जी - आचार्य हरिशंकर दुबे जी ।
४. “आभासी दुनिया के नवगीत” समीक्षा - डॉ. रामसनेहीलाल शर्मा ‘यायावर’ जी - आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' जी।
५. “नित्यकल्पा तुलसी” उपन्यास डॉ. चंद्रा चतुर्वेदी जी - डॉ. स्मृति शुक्ला जी।
६. “माण्डवी” उपन्यास आचार्य हरिशंकर दुबे जी - इं. सुरेन्द्र सिंह पवार जी।
आभार - प्रो. शोभित वर्मा जी।
अपराह्न १ बजे : विराम ।
अपराह्न २ बजे : अलंकरण सत्र : संचालन: बसंत शर्मा, अध्यक्ष - आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी, मुख्य अतिथि - डॉ. अनिल जैन।
०१. स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरी अलंकरण ५०००रु. (सौजन्य : आचार्य कृष्णकान्त चतुर्वेदी) - इं. अमरेन्द्र नारायण जी ।
०२. शांति-राज हिंदी रत्न अलंकरण ५००० रु. - (सौजन्य : संजीव वर्मा 'सलिल'), - इं. अमरनाथ जी, लखनऊ।
०३. राजधर जैन 'मानसहंस' अलंकरण ५००० रु. (सौजन्य : डॉ. अनिल जैन), - डॉ. सुरेश कुमार वर्मा जी, जबलपुर।
०४. ... स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण २१०० रु. - (सौजन्य :बसंत शर्मा जी), - डॉ. निशा तिवारी जी, जबलपुर।
०५. सत्यार्थ भट्ट स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण २१०० रु. - (सौजन्य : मीना भट्ट जी), - डॉ. अरविन्द श्रीवास्तव 'असीम', दतिया।
०६. डॉ. शिव कुमार मिश्र स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण २१०० रु. (सौजन्य :डॉ. अनिल बाजपेयी जी), - डॉ. अवधी हरि लखनऊ।
०७. सुरेन्द्र नाथ सक्सेना स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण २१०० रु. (सौजन्य : मनीषा सहाय जी) - डॉ.अनिल जैन, दमोह।
०८. सत्याशा हिंदी श्री अलंकरण, ११०० रु. - (सौजन्य :डॉ. साधना वर्मा जी) ११०० रु., - सरला वर्मा जी, भोपाल।
०९. कवि राजीव वर्मा स्मृति हिंदी श्री अलंकरण ११०० रु. - (सौजन्य :सुश्री आशा वर्मा जी) - नीलम कुलश्रेष्ठ जी, गुना। आभार - प्रेम प्रकाश मिश्र ।
अपराह्न ३ बजे : विमर्श सत्र : संचालन छाया सक्सेना, अध्यक्ष - डॉ. निशा तिवारी, मुख्य अतिथि - डॉ. अरविन्द श्रीवास्तव 'असीम' जी।
विषय - वक्ता ( समय - प्रत्येक वक्ता ७ मिनिट)
१. हिंदी और आजीविका / रोजगार - डॉ. जयश्री जोशी जी, डॉ. मुकुल तिवारी जी।
२. हिंदी और विज्ञान : शिक्षा, लेखन और शोध के संदर्भ में - इं. अमरनाथ जी, डॉ. संजय वर्मा जी, नीलम कुलश्रेष्ठ जी, प्रो. शोभित वर्मा ।
३. हिंदी का भविष्य : भविष्य की हिंदी - डॉ. इला घोष जी, डॉ. अवधी हरि जी, मधुर कुलश्रेष्ठ जी।
आभार - हरि सहाय पाण्डेय जी ।
अपराह्न ५.०० बजे : रचना पाठ सत्र (समय सीमा ३ मिनिट)
अध्यक्ष : मधुर कुलश्रेष्ठ, मुख्य अतिथि - डॉ. अवधी हरि (हरि फ़ैजाबादी), संचालक - श्री बसंत शर्मा।
आभार - श्री अजय मिश्र जी, प्रचार सचिव।
टीप - समय पालन प्रार्थनीय।
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अलंकरण पत्र
विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान : समन्वय प्रकाशन जबलपुर
वार्षिकोत्सव २०-८-२०२३
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प्रतिष्ठा में -
श्री ................................................................................................,
................................................................................................।
आपको .................................................................................................................................................................. हेतु
........................................................................................................................................... अलंकृत करते हुए हम आह्लादित हैं ।
स्मृति में - ................................................................................................
सौजन्य - ................................................................................................
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' बसंत शर्मा
संस्थापक-सभापति अध्यक्ष
।। जन्म ब्याह राखी तिलक, गृह प्रवेश त्योहार । सलिल बचा पौधे लगा, दें पुस्तक उपहार।।
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विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान : समन्वय प्रकाशन जबलपुर
वार्षिकोत्सव २०-८-२०२३
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प्रतिष्ठा में -
श्री अमरेन्द्र नारायण जी,
जबलपुर।
आपको श्रेष्ठ अभियांत्रिकी कार्यों, उत्तम साहित्य सृजन तथा राष्ट्रीय एकता संवर्धन विषयक असाधारण
अवदान हेतु 'जगद्गुरु स्वामी सत्य मित्रानंद गिरी स्मृति राष्ट्र गौरव अलंकरण' तथा ५००१ रु. सम्मान निधि से
अलंकृत करते हुए हम आह्लादित हैं ।
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी बसंत शर्मा
संस्थापक-सभापति संरक्षक अध्यक्ष
।। जन्म ब्याह राखी तिलक, गृह प्रवेश त्योहार । सलिल बचा पौधे लगा, दें पुस्तक उपहार।।
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विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान : समन्वय प्रकाशन जबलपुर
वार्षिकोत्सव २०-८-२०२३
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प्रतिष्ठा में -
श्री अमरनाथ अग्रवाल जी,
लखनऊ।
आपको श्रेष्ठ अभियांत्रिकी कार्यों, उत्तम साहित्य सृजन, छंद सृजन तथा सांगठनिक दायित्वों के कुशल
संपादन हेतु शांति देवी-राजबहादुर वर्मा स्मृति 'शांति राज समाज गौरव अलंकरण' तथा ५००१ रु. सम्मान
निधि से अलंकृत करते हुए हम आह्लादित हैं ।
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' डॉ. साधना वर्मा बसंत शर्मा
संस्थापक-सभापति संरक्षक अध्यक्ष
।। जन्म ब्याह राखी तिलक, गृह प्रवेश त्योहार । सलिल बचा पौधे लगा, दें पुस्तक उपहार।।
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विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान : समन्वय प्रकाशन जबलपुर
वार्षिकोत्सव २०-८-२०२३
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प्रतिष्ठा में -
श्री सुरेश कुमार वर्मा जी,
जबलपुर ।
आपको श्रेष्ठ हिंदी शिक्षण, भाषा विज्ञान विषयक ग्रंथ लेखन तथा उत्तम साहित्य सृजन हेतु राजधर जैन
'मानस हंस' स्मृति 'हिंदी रत्न अलंकरण' तथा ५००१ रु. सम्मान निधि से अलंकृत करते हुए हम आह्लादित हैं ।
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' डॉ. अनिल जैन बसंत शर्मा
संस्थापक-सभापति संयोजक दमोह ईकाई अध्यक्ष
।। जन्म ब्याह राखी तिलक, गृह प्रवेश त्योहार । सलिल बचा पौधे लगा, दें पुस्तक उपहार।।
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विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान : समन्वय प्रकाशन जबलपुर
वार्षिकोत्सव २०-८-२०२३
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प्रतिष्ठा में -
श्री निशा तिवारी जी,
जबलपुर।
आपको श्रेष्ठ हिंदी शिक्षण एवं श्रेष्ठ साहित्य सृजन हेतु ................................................................
स्मृति 'हिंदी गौरव अलंकरण' तथा २१०० रु. सम्मान निधि से अलंकृत करते हुए हम आह्लादित हैं ।
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' मंजरी शर्मा बसंत शर्मा
संस्थापक-सभापति संरक्षक अध्यक्ष
।। जन्म ब्याह राखी तिलक, गृह प्रवेश त्योहार । सलिल बचा पौधे लगा, दें पुस्तक उपहार।।
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विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान : समन्वय प्रकाशन जबलपुर
वार्षिकोत्सव २०-८-२०२३
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प्रतिष्ठा में -
श्री अरविन्द श्रीवास्तव 'असीम' जी,
दतिया।
आपको श्रेष्ठ साहित्य सृजन, प्रेरक व्याख्यानों तथा समाज निर्माण कार्यों हेतु सिद्धार्थ भट्ट स्मृति 'हिंदी
गौरव अलंकरण' तथा २१०० रु. सम्मान निधि से अलंकृत करते हुए हम आह्लादित हैं ।
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' मीना भट्ट बसंत शर्मा
संस्थापक-सभापति उपाध्यक्ष अध्यक्ष
।। जन्म ब्याह राखी तिलक, गृह प्रवेश त्योहार । सलिल बचा पौधे लगा, दें पुस्तक उपहार।।
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विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान : समन्वय प्रकाशन जबलपुर
वार्षिकोत्सव २०-८-२०२३
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प्रतिष्ठा में -
श्री अवधी हरि जी,
लखनऊ।
आपको हिंदी-अवधी-उर्दू सृजन सेतु के निर्माण, तथा श्रेष्ठ साहित्य सृजन हेतु डॉ. शिव कुमार मिश्र स्मृति
'हिंदी गौरव अलंकरण' तथा २१०० रु. सम्मान निधि से अलंकृत करते हुए हम आह्लादित हैं ।
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' डॉ. अनिल बाजपेयी बसंत शर्मा
संस्थापक-सभापति सचिव अध्यक्ष
।। जन्म ब्याह राखी तिलक, गृह प्रवेश त्योहार । सलिल बचा पौधे लगा, दें पुस्तक उपहार।।
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विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान : समन्वय प्रकाशन जबलपुर
वार्षिकोत्सव २०-८-२०२३
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प्रतिष्ठा में -
श्री अनिल जैन जी,
दमोह।
आपको हिंदी-अंग्रेजी-उर्दू सृजन सेतु के निर्माण एवं श्रेष्ठ साहित्य सृजन हेतु सुरेंद्र कुमार
सक्सेना स्मृति 'हिंदी गौरव अलंकरण' तथा २१०० रु. सम्मान निधि से अलंकृत करते हुए हम आह्लादित हैं ।
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' मनीषा सहाय बसंत शर्मा
संस्थापक-सभापति सचिव विज्ञान प्रकोष्ठ अध्यक्ष
।। जन्म ब्याह राखी तिलक, गृह प्रवेश त्योहार । सलिल बचा पौधे लगा, दें पुस्तक उपहार।।
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विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान : समन्वय प्रकाशन जबलपुर
वार्षिकोत्सव २०-८-२०२३
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प्रतिष्ठा में -
श्री सरला वर्मा जी,
भोपाल।
आपको अंतर्जाल पर आध्यात्मिक-साहित्यिक कार्यक्रमों के कुशल सुदीर्घ संचालन तथा साहित्य सृजन हेतु
हेतु प्रो. सत्यसहाय-आशा सहाय स्मृति सत्याशा 'हिंदी श्री अलंकरण' तथा ११०० रु. सम्मान निधि से अलंकृत
करते हुए हम आह्लादित हैं ।
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' डॉ. साधना वर्मा बसंत शर्मा
संस्थापक-सभापति संरक्षक अध्यक्ष
।। जन्म ब्याह राखी तिलक, गृह प्रवेश त्योहार । सलिल बचा पौधे लगा, दें पुस्तक उपहार।।
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विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान : समन्वय प्रकाशन जबलपुर
वार्षिकोत्सव २०-८-२०२३
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प्रतिष्ठा में -
श्री नीलम कुलश्रेष्ठ जी,
गुना।
आपको अंतर्जाल पर सॉनेट लेखन, बाल शिक्षा तथा उत्तम साहित्य सृजन हेतु कवि राजीव वर्मा
'राजू' स्मृति 'हिंदी श्री अलंकरण' तथा ११०० रु. सम्मान निधि से अलंकृत करते हुए हम आह्लादित हैं ।
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' सुश्री आशा वर्मा बसंत शर्मा
संस्थापक-सभापति संरक्षक अध्यक्ष
।। जन्म ब्याह राखी तिलक, गृह प्रवेश त्योहार । सलिल बचा पौधे लगा, दें पुस्तक उपहार।।
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विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान : समन्वय प्रकाशन जबलपुर
वार्षिकोत्सव २०-८-२०२३
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प्रतिष्ठा में -
श्री राहुल शिवॉय,
दिल्ली।
आपको कविता कोश तथा श्वेतवर्णा प्रकाशन के माध्यम से विश्ववाणी हिंदी के साहित्य को प्रकाश में लाने हेतु ''दिव्य नर्मदा हिंदी
भास्कर अलंकरण'' से अलंकृत करते हुए हम आह्लादित हैं ।
हमें विश्वास है कि आप जैसे युवा हिंदी भाषा और साहित्य को विश्व के हर देश में पहुँचाने के लिए सजग और सक्रिय रहेंगे।
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' बसंत शर्मा
संस्थापक-सभापति अध्यक्ष
।। जन्म ब्याह राखी तिलक, गृह प्रवेश त्योहार । सलिल बचा पौधे लगा, दें पुस्तक उपहार।।
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