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बुधवार, 28 जून 2023

सोनेट, साँझ

सोनेट
साँझ
*
साँझ सपने सजा निहाल हुई,
देख छैला करे मधुर बतियाँ,
आँख रतनार हो सवाल हुई,
दूर रहना, न हम कुम्हड़बतियाँ।

काम दिन भर करे न रुकती है,
रात भर जाग बाँचती पुस्तक,
कोशिशें कर कभी न थकती है, 
भाग्य के द्वार दे रही दस्तक। 

आप अपनी कही कहानी है, 
मुश्किलों से तनिक नहीं डरती,
न, किसी की न निगहबानी है, 
तारती है, न आप ही तरती। 

बात सच्ची कहूँ कमाल हुई,
साँझ सबके लिए मिसाल हुई। 

(महासंस्कारी जातीय, चंद्र छंद) 
२८-६-२०२३ 
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