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बुधवार, 7 अक्तूबर 2020

हिंदी व भारती

हिंदी व भारती
हिंदी का दूसरा नाम भारती है परन्तु हिंदी से अधिक ब्यापक रूप में व्यवहृत है भारती शब्द । सामान्य रूप में 
हिंदी भारत का सबसे बड़ी भाषा हे और भारती भारत के भाषा-समूह पर दोनों शब्दों का अर्थ एक ही है। हिन्दी शब्द की व्युपत्ति भारत के उत्तर–पश्चिम में प्रवाहमान सिंधु नदी से सम्बन्धित है। अधिकांश विदेशी यात्री और आक्रान्ता उत्तर–पश्चिम सिंहद्वार से ही भारत आए। भारत में आने वाले इन विदेशियों ने जिस देश के दर्शन किए, वह 'सिंधु' का देश था। ईरान (फ़ारस) के साथ भारत के बहुत प्राचीन काल से ही सम्बन्ध थे और ईरानी 'सिंधु' को 'हिन्दु' कहते थे। (सिंधु - हिन्दु, स का ह में तथा ध का द में परिवर्तन - भाषा प्रवृत्ति के अनुसार ध्वनि परिवर्तन होतिहे )। हिन्दू शब्द संस्कृत में भी प्रचलित है परंतु यह संस्कृत के 'सिन्धु' शब्द से विकसित है। हिन्दू से 'हिन्द' बना और फिर 'हिन्द' में फ़ारसी भाषा के सम्बन्ध कारक प्रत्यय 'ई' लगने से 'हिन्दी' बन गया। 'हिन्दी' शब्द का विकास कई चरणों में हुआ- सिंधु→ हिन्दु→ हिन्द+ई→ हिन्दी।
'हिन्दी' का अर्थ है—'हिन्द का'। इस प्रकार हिन्दी शब्द की उत्पत्ति हिन्द देश के निवासियों के अर्थ में हुई। आगे चलकर यह शब्द 'हिन्दी की भाषा' के अर्थ में प्रयुक्त होने लगा। पुरे हिन्द यानि भारत की भाषा ।
'हिन्दी' शब्द मूलतः फ़ारसी का है न कि 'हिन्दी' भाषा का। यह ऐसे ही है जैसे बच्चा हमारे घर जनमे और उसका नामकरण हमारा पड़ोसी करे। कुछ कट्टर हिन्दी प्रेमी 'हिन्दी' शब्द की व्युत्पत्ति हिन्दी भाषा में ही दिखाने की कोशिश करते हैं, जैसे - हिन (हनन करने वाला) + दु (दुष्ट)= हिन्दू अर्थात् दुष्टों का हनन करने वाला हिन्दू और उन लोगों की भाषा 'हिन्दी'; हीन (हीनों)+दु (दलन)= हिन्दू अर्थात् हीनों का दलन करने वाला हिन्दू और उनकी भाषा 'हिन्दी'। चूँकि इन व्युत्पत्तियों में प्रमाण कम, अनुमान अधिक है, इसलिए सामान्यतः इन्हें स्वीकार नहीं किया जाता।
'हिन्दी' शब्द के दो अर्थ हैं— 'हिन्द देश के निवासी' (यथा— हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा— इक़बाल) और 'हिन्दी की भाषा'। हाँ, यह बात अलग है कि अब यह शब्द दो आरम्भिक अर्थों से पृथक हो गया है। इस देश के निवासियों को अब कोई हिन्दी नहीं कहता, बल्कि भारती , भारतवासी, हिन्दुस्तानी आदि कहते हैं। दूसरे, इस देश की व्यापक भाषा के अर्थ में भी अब 'हिन्दी' शब्द का प्रयोग नहीं होता, क्योंकि भारत में अनेक भाषाएँ हैं, जो सब 'हिन्दी' नहीं कहलाती हैं। बेशक ये सभी 'हिन्द' की भाषाएँ हैं, लेकिन केवल 'हिन्दी' नहीं हैं। उन्हें हम पंजाबी, बांग्ला, असमिया, उड़िया, मराठी आदि नामों से पुकारते हैं। इसलिए 'हिन्दी' की इन सब भाषाओं के लिए 'हिन्दी' शब्द का प्रयोग नहीं किया जाता। व्यापक अर्थ में देश की भाषा के भारती कहा जाता हे । भारती की तरह 
हिन्दी' शब्द भाषा विशेष का वाचक नहीं है, बल्कि यह भाषा समूह का नाम है। हिन्दी भाषा समूह किन्तु छोटे समुह का नाम है, उसमें आज के हिन्दी प्रदेश/क्षेत्र की 5 उपभाषाएँ तथा 17 बोलियाँ शामिल हैं। बोलियों में ब्रजभाषा, अवधी एवं खड़ी बोली को आगे चलकर मध्यकाल में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त हुआ है।
हिंदीको भारत की राष्ट्रभाषा का दर्ज मिला है । यह दर्जा दिए जाने के समय कुछ सर्ते दिए गए थे ... 15 बर्षो के भीतर हिंदी में सभी भारती भाषाओ के शब्दों को समिश्रित किये जाने की दवित्व दियागया । ताकि हिंदी शब्द का अर्थ ब्यापक हो सके , नाकि आंचलिक भाषा के रूप में ही जाना जाये । 
परन्तु हिंदी को अबतक सभी भारती भाषाओ की समग्र रूप के तौर पर बिकसित नहीं किया जसका हे । इसके लिए हमारे लोगो की अनाग्रह एक मात्र कारन हे । परन्तु भारती पुरे भारत की भाषाओँ की सामग्रिक रूप ही हे । एक सहलिपि का व्यवहार भारती को ब्यापक रूप से भारत का भाषा बना सकता हे ।

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