कुल पेज दृश्य

रविवार, 23 अगस्त 2020

बाल गीत पारुल

- स्मृति के वातायन से
हिन्दयुग्म
बाल गीत
पारुल
रुन-झुन करती आयी पारुल।
सब बच्चों को भायी पारुल।
बादल गरजे, तनिक न सहमी।
बरखा लख मुस्कायी पारुल।
चम-चम बिजली दूर गिरी तो,
उछल-कूद हर्षायी पारुल।
गिरी-उठी, पानी में भीगी।
सखियों सहित नहायी पारुल।
मैया ने जब डाँट दिया तो-
मचल-रूठ-गुस्सायी पारुल।
छप-छप खेले, ता-ता थैया।
मेंढक के संग धायी पारुल।
'सलिल' धार से भर-भर अंजुरी।
भिगा-भीग मस्तायी पारुल।
मंगलवार ७-७-२००९

कोई टिप्पणी नहीं: