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सोमवार, 31 अगस्त 2020

माहिया, ककुप, हाइकु

माहिया
फागों की तानों से
मन से मन मिलते
मधुरिम मुस्कानों से
*
ककुप
मिल पौधे लगाइए
वसुंधरा हरी-भरी बनाइये
विनाश को भगाइए
*
हाइकु
गाओ कबीर
बुरा न माने कोई
लगा अबीर
.

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