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गुरुवार, 13 अगस्त 2020

दोहा सलिला मित्र

दोहा सलिला 
मित्र 
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निधि जीवन की मित्रता, करे सुखी-संपन्न
मित्र न जिसको मिल सके, उस सा कौन विपन्न.

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सबसे अधिक गरीब वह, मिला न जिसको मित्र 
गुल गुलाब जिससे नहीं, बन सकता हो इत्र 
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बिना स्वार्थ संबंध है, मन से मन का मित्र
मित्र न हो तो ज़िंदगी, बिना रंग का चित्र 
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