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शुक्रवार, 10 जून 2016

muktika

 मुक्तिका
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बाहर ताली, घर में गाली क्या नसीब है?
हर अपना हो गया सवाली क्या नसीब है??
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काया की दुश्मन छाया, कैसी माया है?
अपनों से ही धोखा पाया क्या नसीब है??
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अधिक गरीबों से गरीब हैं धनकुबेर ये
नींद चैन की कभी न पाते क्या नसीब है?
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जैसा राजा प्रजा हुई है क्यों वैसी ही?
संसद बैठे चोर-मवाली क्या नसीब है?
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छप्पन भोग लगाए जाते चखे न फिर भी
टुकुर-टुकुर ताका करता प्रभु क्या नसीब है?
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हाड तोड़ मेहनत को रोटी-नोंन मिल रहा
चटखारे ले चटनी चाटे क्या नसीब है?
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'ख़ास' न चाहे 'सलिल' बन सके 'आम' आदमी
'आम' न रहता, बने ख़ास गर, क्या नसीब है?
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[अवतारी जातीय, सारस छंद]
१०-६-२०१६    

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