बाल मुक्तिका:
हरियल तोता
संजीव 'सलिल'
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सबका प्यारा हरियल तोता.
चुग्गा चुगता खुशियाँ बोता..
आसमान में उड़ते तोते
देख-देख मन ही मन रोता..
पिंजरे में सिर पटक-पटककर
अमन-चैन, सुध-बुध भी खोता..
नासमझी कर पलट कटोरी
पानी की- प्यासा ही सोता..
सुबह-सुबह जग राम-राम कह
सबको सुख देकर खुश होता..
भीगे चने मिर्च ताज़ा फल
रुच-रुच खाता ज्यों हो न्योता..
गर्मी लगती पंख भिगाता
फिर फैला पर सुखा-निचोता..
हीरामन को दिखती मैना.
नैन लड़ाता, दिल भी खोता..
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Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
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5 टिप्पणियां:
- pindira77@yahoo.co.in
'hariyal tota ' sundar ati sundar rachana .
agar kahiin mai tota hota to kya hota,udta niil gagan men,pinjde me (jiivan rupii pinjda) main yun n rota .
shayad mera ptiuttar aapko achchha lage. pakshimujhe bahut priya hain.
Regards,
Indira Sharma
- kanuvankoti@yahoo.com
आदरणीय संजीव जी ,
सुन्दर....हरियल तोते की जय हो ! बचपन याद आ गया, जब मैं अपने मिठ्ठू को हरी मिर्च खिलाया करता था .
इस प्यारी रचना के लिए साधुवाद
सादर,
कनु
sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.com
kavyadhara
आ० आचार्य जी ,
इस बाल-रचना के लिये साधुवाद !
तुलसी की चौपाई याद आ गई -
" पराधीन सपनेहु सुख नाहीं | करि विचार देखहु मनमाहीं ||
सादर
कमल
- kanuvankoti@yahoo.com
आदरणीय संजीव जी ,
सुन्दर...
हरियल तोते की जय हो ! बचपन याद आ गया, जब मैं अपने मिठ्ठू को हरी मिर्च खिलाया करता था .
इस प्यारी रचना के लिए साधुवाद
सादर,
कनु
vijay2 ✆ द्वारा yahoogroups.com kavyadhara
आ० सलिल जी,
इतना मनोहारी बालगीत और उसके संग इन चित्रों के क्या कहने!
बधाई ।
विजय
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