भजन गीत:
यह सब संसार विकल है .....
संजीव 'सलिल'
*
*
यह सब संसार विकल है,
जो अविचल वह अविकल है...
*
तन-मन-धन के सब नाते,
जीवन की राह सिखाते.
निज हित की परिभाषाएँ-
तोते की तरह रटाते.
कोई न बताता किसका
कैसा कल था या कल है...
*
किसने-क्यों हमको भेजा?
क्या था पाथेय सहेजा?
हम जोड़े माया-गठरी-
कब कह पाये: 'अब ले जा?
औरों पर दोष लगाया-
कब बतलाया निज छल है...
*
कब साथ कौन आता है?
क्या संग कहो जाता है?
फिर क्यों झगड़े-घोटाले-
कर मनुआ पछताता है?
सदियों के ख्वाब सजाये-
किसने जाना कब पल है?...

*****
यह सब संसार विकल है .....
संजीव 'सलिल'
*
*
यह सब संसार विकल है,
जो अविचल वह अविकल है...
*
तन-मन-धन के सब नाते,
जीवन की राह सिखाते.
निज हित की परिभाषाएँ-
तोते की तरह रटाते.
कोई न बताता किसका
कैसा कल था या कल है...
*
किसने-क्यों हमको भेजा?
क्या था पाथेय सहेजा?
हम जोड़े माया-गठरी-
कब कह पाये: 'अब ले जा?
औरों पर दोष लगाया-
कब बतलाया निज छल है...
*
कब साथ कौन आता है?
क्या संग कहो जाता है?
फिर क्यों झगड़े-घोटाले-
कर मनुआ पछताता है?
सदियों के ख्वाब सजाये-
किसने जाना कब पल है?...
*****
11 टिप्पणियां:
ksantosh_45@yahoo.co.in द्वारा yahoogroups.com ekavita
आ० सलिल जी
बहुत खूब, अति सुन्दर। हर विधा व भावों में प्रवीण है आप। बधाई।
सन्तोष कुमार सिंह
Pranava Bharti ✆ द्वारा yahoogroups.com ekavita
आ. सलिल जी,
बहुत सुंदर भजन -गीत !
जीवन की वास्तविकता के दर्शन कराता,जगाता हुआ |
[किसने क्यों हमको भेजा?]
जिन्दगी भर रहे ख्याल कई ,
उस खुदा से रहे सवाल कई|
बुत बनाया, हमें भेज दिया,
जिन्दगी ने किये बबाल कई ||
सादर
प्रणव भारती
Dr.M.C. Gupta ✆ द्वारा yahoogroups.com ekavita
सलिल जी,
बहुत सुंदर है--
किसने-क्यों हमको भेजा?
क्या था पाथेय सहेजा?
हम जोड़े माया-गठरी-
कब कह पाये: 'अब ले जा?
औरों पर दोष लगाया-
कब बतलाया निज छल है...
--ख़लिश
sanjiv verma salil ✆ekavita
मन में आते रहे भूचाल कई.
तन ही पाले रहा जंजाल कई.
तूने भेजा था कि हम मौज करें-
हमने खुद को छला, चल चाल कई ||
sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.com
kavyadhara
आ० आचार्य जी ,
सुन्दर भाव लिये यथार्थता का बोध कराता भजन-गीत के लिये
साधुवाद !
कमल
Ram Gautam ✆
7:44 pm (5 मिनट पहले)
ekavita
आ० सलिल जी,
प्रणाम:
यथार्थ से सजा "भजन गीत" पढ़कर अच्छा लगा, "आप हर विधा व भावों में प्रवीण है आप।"
आ. संतोष कुमार सिंह जी की बात से मैं पूर्ण-रूप से सहमत हूँ |
आपको ढेर सारी बधाई और धन्यवाद|
किसने जाना पल कल है?...
( किसने जाना कब पल है?...।)
सादर- गौतम
kusumsinha2000@yahoo.com ekavita
priy sajiv salil ji
bahut hi sundar kavita badhai bahut bahut badhai
kusum
vijay ✆ vijay2@comcast.net द्वारा yahoogroups.com kavyadhara
आ० ’सलिल’ जी,
उत्कृष्ट भावों से भरपूर भजन के लिए साधुवाद!
सच, बहुत ही अच्छा लगा ।
विजय
"sn Sharma"
kavyadhara@yahoogroups.com
आ० आचार्य जी ,
सुन्दर भाव लिये यथार्थता का बोध कराता भजन-गीत के लिये
साधुवाद !
कमल
pranavabharti@gmail.com द्वारा yahoogroups.com kavyadhara
आ.आपका ज्ञान देखकर तो मैं नतमस्तक हूँ.......सीखना चाहकर भ़ी कितना सीख सकेंगे अब?
सही मायनों में आप [आचार्य] हैं|
आपको नमन
कृपया आप मुझे तो नमन लिखकर शर्मिंदा न किया करें,
बड़ी मेहरबानी होगी
सादर
धन्यवाद सहित
प्रणव भारती
आदरणीय मैं केवल विद्यार्थी हूँ... यह संबोधन तो मित्रों का स्नेह भाव से दिया गया उपहार है. आपकी गुणग्राहकता को नमन.
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