*
बाल गीत:
लंगडी खेलें.....
आचार्य संजीव 'सलिल'
*
![](https://encrypted-tbn0.google.com/images?q=tbn:ANd9GcT8mUOluzibRWPuWt2Hi7Wrhg8XX4Lr8UHTbsxeQu1X2LKIerNK)
*
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*
एक पैर लें
जमा जमीं पर।
रखें दूसरा
थोडा ऊपर।
बना संतुलन
निज शरीर का-
आउट कर दें
तुमको छूकर।
एक दिशा में
तुम्हें धकेलें।
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*
![](https://encrypted-tbn0.google.com/images?q=tbn:ANd9GcQrIapASObvWl3_SchcLX-4Q2A3UU75XFQGQVyyKj2Px8omLq6qGg)
आगे जो भी
दौड़ लगाये।
कोशिश यही
हाथ वह आये।
बचकर दूर न
जाने पाए-
चाहे कितना
भी भरमाये।
हम भी चुप रह
करें झमेले।
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*
![](https://encrypted-tbn1.google.com/images?q=tbn:ANd9GcQP_KDlNlaCPJTxMOI86XbzE2e__bDsRKjd34L0SnplYrib1Mxq)
हा-हा-हैया,
ता-ता-थैया।
छू राधा को
किशन कन्हैया।
गिरें धूल में,
रो-उठ-हँसकर,
भूलें- झींकेगी
फिर मैया।
हर पल 'सलिल'
ख़ुशी के मेले।
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*************
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in
बाल गीत:
लंगडी खेलें.....
आचार्य संजीव 'सलिल'
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आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*
एक पैर लें
जमा जमीं पर।
रखें दूसरा
थोडा ऊपर।
बना संतुलन
निज शरीर का-
आउट कर दें
तुमको छूकर।
एक दिशा में
तुम्हें धकेलें।
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
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आगे जो भी
दौड़ लगाये।
कोशिश यही
हाथ वह आये।
बचकर दूर न
जाने पाए-
चाहे कितना
भी भरमाये।
हम भी चुप रह
करें झमेले।
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
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हा-हा-हैया,
ता-ता-थैया।
छू राधा को
किशन कन्हैया।
गिरें धूल में,
रो-उठ-हँसकर,
भूलें- झींकेगी
फिर मैया।
हर पल 'सलिल'
ख़ुशी के मेले।
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
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Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
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1 टिप्पणी:
SANJEEV JI , LANGDEE KAVITA PASAND
AAYEE HAI . SHABDO KAA TAAL - MEL
KHOOB HAI !
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