दोहा का रंग भोजपुरी के संग:
संजीव वर्मा 'सलिल'
सोना दहल अगनि में, जैसे होल सुवर्ण.
भाव बिम्ब कल्पना छुअल, आखर भयल सुपर्ण..
*
सरस सरल जब-जब भयल, 'सलिल' भाव-अनुरक्ति.
तब-तब पाठक गणकहल, इहै काव्य अभिव्यक्ति..
*
पीर पिये अउ प्यार दे, इहै सृजन के रीत.
अंतर से अंतर भयल, दूर- कहल तब गीत..
*
निर्मल मन में रमत हे, सदा शारदा मात.
शब्द-शक्ति वरदान दे, वरदानी विख्यात..
*
मन ऐसन हहरल रहन, जइसन नदिया धार.
गले लगल दूरी मितल, तोडल लाज पहार..
*
कुल्हि कहानी काल्ह के, गइल जवानी साँच.
प्रेम-पत्रिका बिसरि के, क्षेम-पत्रिका बाँच..
*
जतने जाला ज़िन्दगी, ओतने ही अभिमान.
तन संइथाला जेतने, मन होइल बलवान..
*
चोटिल नागिन के 'सलिल', ज़हरीली फुंकार.
बूढ बाघ घायल भयल, बच- लुक-छिप दे मार..
*
नेह-छोह राखब 'सलिल', धन-बल केकर मीत.
राउर मन से मन मिलल, साँस-साँस संगीत..
*
दिव्यनर्मदा.ब्लॉगस्पोट.कॉम
Acharya Sanjiv Salil
http://divyanarmada.blogspot.com
संजीव वर्मा 'सलिल'
सोना दहल अगनि में, जैसे होल सुवर्ण.
भाव बिम्ब कल्पना छुअल, आखर भयल सुपर्ण..
*
सरस सरल जब-जब भयल, 'सलिल' भाव-अनुरक्ति.
तब-तब पाठक गणकहल, इहै काव्य अभिव्यक्ति..
*
पीर पिये अउ प्यार दे, इहै सृजन के रीत.
अंतर से अंतर भयल, दूर- कहल तब गीत..
*
निर्मल मन में रमत हे, सदा शारदा मात.
शब्द-शक्ति वरदान दे, वरदानी विख्यात..
*
मन ऐसन हहरल रहन, जइसन नदिया धार.
गले लगल दूरी मितल, तोडल लाज पहार..
*
कुल्हि कहानी काल्ह के, गइल जवानी साँच.
प्रेम-पत्रिका बिसरि के, क्षेम-पत्रिका बाँच..
*
जतने जाला ज़िन्दगी, ओतने ही अभिमान.
तन संइथाला जेतने, मन होइल बलवान..
*
चोटिल नागिन के 'सलिल', ज़हरीली फुंकार.
बूढ बाघ घायल भयल, बच- लुक-छिप दे मार..
*
नेह-छोह राखब 'सलिल', धन-बल केकर मीत.
राउर मन से मन मिलल, साँस-साँस संगीत..
*
दिव्यनर्मदा.ब्लॉगस्पोट.कॉम
Acharya Sanjiv Salil
http://divyanarmada.blogspot.com
7 टिप्पणियां:
स्थानीय भाषाओं में आपका समृद्ध साहित्य सृजन प्रशंसनीय है।
dhanyavad.
bahut khoob..aacharay ji..badhayee
बड़ा नीक लगल .एक एक भाव सुंदर बा. भोजपुरी के इतना ऊंचा देहले खातिन आपके सुकिरिया
ब्लॉगर honesty project democracy …
उम्दा प्रस्तुती /
रश्मि:
waah... nayapan hai dohon me
बहुत निमन लिखले बानी आचार्य जी, राउर इ दोहा त हमनी के हिंदी साहित्य मे पढ़नी जा, आ अब भोजपुरी रूपांतरण , कमाल के राउर लेखनी चलल बा इ दोहा मे, बहुत बढ़िया लागल इ राउर पोस्ट, बहुत बहुत बधाई इ पोस्ट खातिर,
एगो अउर निहोरा बा आचार्य जी ओपन बुक्स ऑनलाइन पर भोजपुरी रचना लिखे खातिर एगो अलग से 'भोजपुरी साहित्य" ग्रुप बनावल बा , निहोरा बा की आगे रौवा भोजपुरी के रचना वोइजे पोस्ट करे के कृपा करी, सुविधा खातिर हम लिंक भी नीचे दे देत बानी,
http://www.openbooksonline.com/group/bhojpuri_sahitya
एक टिप्पणी भेजें