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गुरुवार, 13 मई 2010

भोजपुरी दोहे: संजीव 'सलिल'

8 टिप्‍पणियां:

माधव( Madhav) ने कहा…

fine

Divya Narmada ने कहा…

thanks

सम्वेदना के स्वर … ने कहा…

राउर व्यथा बुझा ला राउर कबिता में... एक एक छंद में रउआ जान भर देले बानीं जा...

M VERMA ने कहा…

M VERMA ने कहा…

प्रेम बाग़ लहलहा के, क्षेम सबहिं के माँग.
सूरज सबहिं बर धूप दे, मुर्गा सब के बाँग..
बहुत सुन्दर बात माटी की बोली में

Udan Tashtari … ने कहा…

बहुत अच्छे लगे दोहे!

honesty project democracy … ने कहा…

शानदार प्रस्तुती,ब्लॉग को सार्थकता की ओर ले जाती पोस्ट /

Tej Pratap Singh … ने कहा…

bojpuri jindabaad...

Divya Narmada ने कहा…

many many thanks to all of you.