Oldies Have Something Interesting to share:
एक और साल गया बीत जीवन-घट और गया रीत ठंड-गरम पहले था कम अब अधिक है ठण्ड या गरम.. अभी कुछ ही दिन हुए हैं यार. जीवन में हर तरफ था प्यार. अब मुझको समझ आ रहा- आता क्यों विगत पर दुलार. शादियों में बस्ती थी जान. खेल-कूद, दावतों में प्राण. अब अंतिम यात्रा में साथ- शोक-सभा में झुकाए माथ. हम पार्टी में भी हैं उदास. खुश हैं एक-दूजे के खास. पोर-पोर में समाई पीर- रातों में कैसे हो धीर. बाहर दावत का हो चाव. तृप्ति का हमेशा अभाव. बार-बार शंका की भीत- गोली खा शयन बना रीत. निकट-दूर जगहों की सैर. मिल न सके कहीं हमें खैर. वाहन में जब हुए सवार- गद्दी चुभे जैसे हों खार. बिन पिए न बनती थी बात. अब घर में करते आराम. सुन ख़बरें बीत रहीं शाम. बेढब है जीवन का हाल. कह-सुन हो रहे हैं निहाल. इसलिए हर पल लो आनंद. जब तक कर दे न उम्र मंद. ****************** |
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