कुल पेज दृश्य

सोमवार, 17 मई 2010

परिचर्चा : चिट्ठाकारी का सामाजिक दायित्व और प्रभाव


परिचर्चा : चिट्ठाकारी का सामाजिक दायित्व और प्रभाव जबलपुर. 
स्थानीय सिविक सेंटर में चिट्ठाकारी का सामाजिक दायित्व और प्रभाव विषय पर केन्द्रित एक जीवंत परिचर्चा का आयोजन श्री अनिल माधव सप्रे नव निर्वाचित अध्यक्ष बी.जे.पी. आई.टी.सेल. के मुख्यातिथ्य तथा दिव्य नर्मदा के संपादक श्री संजीव वर्मा 'सलिल' की अध्यक्षता में संपन्न हुआ. विशेष वक्ता थे श्री सचिन खरे प्रांतीय महामंत्री बी.जे.पी. आई.टी.सेल तथा वरिष्ठ चिट्ठाकार श्री विवेकरंजन श्रीवास्तव 'विनम्र'.
परिचर्चा के संयोजक श्री प्रशांत कर्मवीर ने अतिथियों एवं वक्ताओं का स्वागत करते हुए चिट्ठाकारी के आशय, उपयोग तथा भविष्य पर चर्चा को आवश्यक बताया. तकनीकी मार्गदर्शक श्री मन्वंतर ने गत आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी द्वारा चल भाष पर एस.एम्.एस. तथा बड़े नेताओं की वेब साइटों द्वारा आम आदमी से जुड़ने के प्रयास की सराहना करते हुए इसे एक शुभ आरम्भ मात्र निरूपित किया जिसका अनुकरण अन्य दलों द्वारा किया जाना है. 
श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ने चिट्ठाकारी की तकनीक से उपस्थितों का परिचय कराया तथा विद्युत् चोरी एवं अन्य सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध संघर्ष में चिट्ठे को एक सशक्त औजार बताया. उन्होंने चिट्ठाकारिता को शौक नहीं आदत बनाने का संदेश दिया. 
श्री सचिन खरे ने चिट्ठाकारी के सामने उपस्थित चुनौतियों की चर्चा करते हुए बताया कि अभी न तो नेताओं न ही आम लोगों को इस तकनीक के असर का अंदाज़ न इस पर भरोसा है. उन्होंने बड़े नेताओं की वेब साइटें बनाने के अपने अनुभव को श्रोताओं से बाँटते हुए कहा कि जहाँ प्रारंभ में उन्हें यह फालतू का बखेड़ा लगता था वहीं अब उनमें से कई खुद अपने चिट्ठे देखते-लिखते हैं. चिट्ठाकारी के सामाजिक प्रभाव की चर्चा करते हुए वक्ता ने इसे भावी निर्णायक शक्ति बताया. 
मुख्य अतिथि की आसंदी से श्रोताओं व् प्रशिक्षुओं के संबोधित करते हुए श्री श्री अनिल माधव सप्रे ने चिट्ठाकारी से सम्बंधित सूक्ष्म तथा प्रामाणिक जानकारी देकर उपस्थितों को विस्मित कर दिया. उन्होंने चिट्ठाकारी के अच्छे पक्ष को जानने के साथ-साथ बुरे पक्ष से सजग रहने की अपरिहार्यता प्रतिपादित की. संगणक द्वारा किए जा रहे अपराधों की चर्चा करते हुए वक्ता ने चिट्ठाकारी करते समय जरूरी सावधानियों का उल्लेख किया. 
प्रथम सत्र के समापन के पूर्व अध्यक्षीय उद्बोधन में दिव्य नर्मदा के यशस्वी संपादक आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' ने चिट्ठाकारी के अतीत, वर्तमान तथा भविष्य के शब्द-चित्र उपस्थित करते हुए युवा पीढी के लिये इसकी उपादेयता पर प्रकाश डाला. वक्ता ने चिट्ठों को शिक्षा, अध्ययन, आजीविका, शोध, सामाजिक परिवर्तन, विश्व बन्धुत्व तथा सकल मानवता हेतु वरदान निरूपित करते हुए इसे अभिशाप बनानेवालों से सजग रहने का संदेश दिया. 
आयोजन का समापन श्री मन्वंतर द्वारा तकनीकी कार्यशाला में पूछे गए सवालों के समाधान से हुआ. आभार प्रदर्शन श्री कर्मवीर ने किया. 
******************* 




.
 



3 टिप्‍पणियां:

hanuman pathak ने कहा…

सादर अभिनंदन एवं धन्यवाद इस महती कार्य के लिए। सुंदर। अति सुंदर।।

hindihindi.ning.com ने कहा…

प्रथम सत्र के समापन के पूर्व अध्यक्षीय उद्बोधन में दिव्य नर्मदा के यशस्वी संपादक आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' ने चिट्ठाकारी के अतीत, वर्तमान तथा भविष्य के
शब्द-चित्र उपस्थित करते हुए युवा पीढी के लिये इसकी उपादेयता पर प्रकाश
डाला. वक्ता ने चिट्ठों को शिक्षा, अध्ययन, आजीविका, शोध, सामाजिक
परिवर्तन, विश्व बन्धुत्व तथा सकल मानवता हेतु वरदान निरूपित करते हुए इसे
अभिशाप बनानेवालों से सजग रहने का संदेश दिया..............बहुत ही नेक एवं अनिवार्य कार्य।।

hindihindi.ning.com ने कहा…

बहुत ही सुंदर शुरुवात। आपको एवं इस महायज्ञ में शामिल सभी मनीषियों को हार्दिक नमन। इस तरह के कार्यक्रम होने ही चाहिए। जय ब्लागर। जय हिंद।।