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शुक्रवार, 3 अप्रैल 2020

दोहा दीप

नौ दोहा दीप

दिन की देहरी पर खड़ी, संध्या ले शशि-दीप
गगन सिंधु मोती अगिन, तारे रजनी सीप

दीप जला त्राटक करें, पाएँ आत्म-प्रकाश
तारक अनगिन धरा को, उतर करें आकाश

दीप जलाकर कीजिए, हाथ जोड़ नत माथ
दसों दिशा की आरती, भाग्य देव हों साथ

जीवन ज्योतिर्मय करे, दीपक बाती ज्योत
आशंका तूफ़ान पर, जीते आशा पोत

नौ-नौ की नव माल से, कोरोना को मार
नौ का दीपक करेगा, तम-सागर को पार
नौ नौ नौ की ज्योति से, अन्धकार को भेद
हँसे ठठा भारत करे, चीनी झालर खेद

आत्म दीप सब बालिये, नहीं रहें मतभेद
अतिरेकी हों अल्पमत, बहुमत में श्रम - स्वेद

तन माटी माटी दिया, लौ - आत्मा दो ज्योत
द्वैत मिटा अद्वैत वर, रवि सम हो खद्योत

जन-मन वरण प्रकाश का, करे तिमिर को जीत
वंदन भारत-भारती कहे, बढ़े तब प्रीत
*
संजीव
३-३-२०२०


९४२५१८३२४४

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