ॐ
रसानंद दे छंद नर्मदा ८१:
रसानंद दे छंद नर्मदा ८१:
दोहा, सोरठा, रोला, आल्हा, सार, ताटंक (चौबोला), रूपमाला (मदन), चौपाई, हरिगीतिका, उल्लाला, गीतिका, घनाक्षरी, बरवै, त्रिभंगी, सरसी, छप्पय, भुजंगप्रयात, कुंडलिनी, सवैया, शोभन/सिंहिका, सुमित्र, सुगीतिका , शंकर, मनहरण (कवित्त/घनाक्षरी), उपेन्द्रवज्रा, इंद्रवज्रा, सखी, विधाता/शुद्धगा, वासव, अचल धृति, अचल, अनुगीत, अहीर, अरुण, अवतार, उपमान / दृढ़पद, एकावली, अमृतध्वनि, नित, आर्द्रा, ककुभ/कुकभ, कज्जल, कमंद, कामरूप, कामिनी मोहन (मदनावतार), काव्य, वार्णिक कीर्ति, कुंडल, गीता, गंग, चण्डिका, चंद्रायण, छवि (मधुभार), जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दिग्पाल / दिक्पाल / मृदुगति, दीप, दीपकी, दोधक, निधि, निश्चल, प्लवंगम, प्रतिभा, प्रदोष, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनाग छंदों से साक्षात के पश्चात् मिलिए मधुमालती छंद से
मधुमालती छंद
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छंद-लक्षण: जाति मानव, प्रति चरण मात्रा १४ मात्रा, यति ७-७, चरणांत गुरु लघु गुरु (रगण) होता है.
मधुमालती छंद
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छंद-लक्षण: जाति मानव, प्रति चरण मात्रा १४ मात्रा, यति ७-७, चरणांत गुरु लघु गुरु (रगण) होता है.
लक्षण छंद
मधुमालती आनंद दे
ऋषि साध सुर नव छंद दे।
गुरु लघु गुरुज चरणांत हो
हर छंद नवउत्कर्ष दे।
मधुमालती आनंद दे
ऋषि साध सुर नव छंद दे।
गुरु लघु गुरुज चरणांत हो
हर छंद नवउत्कर्ष दे।
उदाहरण:
१. माँ भारती वरदान दो
सत्-शिव-सरस हर गान दो
मन में नहीं अभिमान हो
घर-घर 'सलिल' मधु गान हो।
१. माँ भारती वरदान दो
सत्-शिव-सरस हर गान दो
मन में नहीं अभिमान हो
घर-घर 'सलिल' मधु गान हो।
२. सोते बहुत अब तो जगो
खुद को नहीं खुद ही ठगो
कानून को तोड़ो नहीं-
अधिकार भी छोडो नहीं
खुद को नहीं खुद ही ठगो
कानून को तोड़ो नहीं-
अधिकार भी छोडो नहीं
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९४२५१८३२४४,
salil.sanjiv@gmail.com,
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