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गुरुवार, 2 मई 2019

दोहा दुनिया

दोहा दुनिया 

यह कहता वह चोर हैए वह कहता यह चोर 

नोटा दे जनता कहेए चोर मचाए शोर 


इसने उसकी बात कीए उसने इसकी बात 
बात न कर करते रहेए दोनों ही आघात


तंत्र अखाडा खोदताए दल आ लड़े चुनाव 
नेता साधे स्वार्थ निजए लोकतंत्र भटकाव


आम आदमी एक दिनए है मतदाता खास 
पांच बरस वह आम होए नेता खासुलखास 

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