दोहा दुनिया
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यह कहता वह चोर हैए वह कहता यह चोर
नोटा दे जनता कहेए चोर मचाए शोर
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इसने उसकी बात कीए उसने इसकी बात
बात न कर करते रहेए दोनों ही आघात
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तंत्र अखाडा खोदताए दल आ लड़े चुनाव
नेता साधे स्वार्थ निजए लोकतंत्र भटकाव
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आम आदमी एक दिनए है मतदाता खास
पांच बरस वह आम होए नेता खासुलखास
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