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गुरुवार, 2 मई 2019

कुंडलिया

एक कुंडलिया 
दिल्ली का यशगान ही, है इनका अस्तित्व
दिल्ली-निंदा ही हुआ, उनका सकल कृतित्व
उनका सकल कृतित्व, उडी जनगण की खिल्ली 
पीड़ा सह-सह हुई तबीयत जिसकी ढिल्ली 
संसद-दंगल देख, दंग है लल्ला-लल्ली
तोड़ रहे दम गाँव, सज रही जमकर दिल्ली
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२-५-२०१७

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