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शनिवार, 31 मार्च 2018

सवैया सलिला ३

राजेश्वरी सवैया
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कभी तो बुलाते, सुनते-लुभाते, गले से लगाते हमें नेता।
न वादे निभाते, धता ही बताते, लुकाते-छिपाते ठगें नेता।।
चुनावी अदाएँ, न भूलें-भुलाएँ,सदा झूठ बोलें, छ्लें नेता-
न कानून मानें, नहीं न्याय जानें, नहीं काम आएँ, खलें नेता।।
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विधान:  (७ यगण) + गुरु
salil.sanjiv@gmail.com

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