राजेश्वरी सवैया
*
कभी तो बुलाते, सुनते-लुभाते, गले से लगाते हमें नेता।
न वादे निभाते, धता ही बताते, लुकाते-छिपाते ठगें नेता।।
चुनावी अदाएँ, न भूलें-भुलाएँ,सदा झूठ बोलें, छ्लें नेता-
न कानून मानें, नहीं न्याय जानें, नहीं काम आएँ, खलें नेता।।
***
विधान: (७ यगण) + गुरु
salil.sanjiv@gmail.com
*
कभी तो बुलाते, सुनते-लुभाते, गले से लगाते हमें नेता।
न वादे निभाते, धता ही बताते, लुकाते-छिपाते ठगें नेता।।
चुनावी अदाएँ, न भूलें-भुलाएँ,सदा झूठ बोलें, छ्लें नेता-
न कानून मानें, नहीं न्याय जानें, नहीं काम आएँ, खलें नेता।।
***
विधान: (७ यगण) + गुरु
salil.sanjiv@gmail.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें