छंद पंचक / पंजा
न गति-यति,
नहीं विराम।
छंद-अछंद
जी चाहा नाम,
जय श्री राम।
***
छंद पंचक
पाँच पंक्तियाँ,
पाँच ही शब्द
हर पंक्ति में,
मूर्तिभंजक।
***
सिर है गंजा
हाथ ले कंघा
जी बहलाते।
लिख-सुनाते
हैं छंद पंजा
***
न गति-यति,
नहीं विराम।
छंद-अछंद
जी चाहा नाम,
जय श्री राम।
***
छंद पंचक
पाँच पंक्तियाँ,
पाँच ही शब्द
हर पंक्ति में,
मूर्तिभंजक।
***
सिर है गंजा
हाथ ले कंघा
जी बहलाते।
लिख-सुनाते
हैं छंद पंजा
***
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें