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रविवार, 4 मार्च 2018

panchak chhand

छंद पंचक / पंजा
न गति-यति,
नहीं विराम।  
छंद-अछंद
जी चाहा नाम,
जय श्री राम। 
***

छंद पंचक 
पाँच पंक्तियाँ, 
पाँच ही शब्द 
हर पंक्ति में,
मूर्तिभंजक।  
***
सिर है गंजा 
हाथ ले कंघा 
जी बहलाते।
लिख-सुनाते 
हैं छंद पंजा
*** 

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