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शनिवार, 24 मार्च 2018

चित्र अलंकार: "ध्वज"

अभिनव प्रयास:
चित्र अलंकार "ध्वज" 

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मन 
कहता
जो, बात सुनो.
आगे बढ़ो, बढ़ो आगे.
जाग, उठो, पग धरो धरा पर
गिर-उठ, सँभल न रुक-चुक-थक
हिकमत कर, कुछ कदम नवल रख
पग-पग चल, कर में रख कर
भाग - दौडो, कूदो - फाँदो,
हर बाधा को पार करो.
हर मौसम में
खिल
फूलों
सम,
धरा
हरी
कर,
हरे
रहो.
खुद
मत
लड़ो,
बढ़ो
आगे
आगे बढ़ो, बढ़ो आगे.
कर प्रयास तो मिले सफलता
मिले न तो फिर, कुछ साहस कर.
अपने नहीं सभी के हित में मंजिल पा
नव मंजिल वर, जीत न रुको, चलो आगे.
आगे बढ़ो, न थक रुक चुक, आगे बढ़ो, बढ़ो आगे.
***
२४.३.२०१८
प्रेषक:
संजीव वर्मा 'सलिल'
विश्ववाणी हिंदी संस्थान'
४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१
चलभाष: ७९९९५५९६१८, ईमेल: salil.sanjiv@gmail.com

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