कुल पेज दृश्य

गुरुवार, 13 जुलाई 2017

muktak

मुक्तक
*
था सरोवर, रह गया पोखर महज क्यों आदमी?
जटिल क्यों?, मिलता नहीं है अब सहज क्यों आदमी?
काश हो तालाब शत-शत कमल शतदल खिल सकें-
आदमी से गले मिलकर 'सलिल' खुश हो आदमी।।
१३-०७-२०१६
*
#हिंदी_ब्लॉगर

कोई टिप्पणी नहीं: