: बाल कविता :
संजीव 'सलिल'
*
आन्या गुडिया प्यारी,
सब बच्चों से न्यारी।
.
गुड्डा जो मन भाया,
उससे हाथ मिलाया।
.
हटा दिया मम्मी ने,
तब दिल था भर आया।
.
आन्या रोई-मचली,
मम्मी थी कुछ पिघली।
.
''नया खिलौना ले लो'',
आन्या को समझाया।
.
शाम को पापा आए
मम्मी पर झल्लाए।
*
हुई रुआँसी मम्मी
आन्या ने ली चुम्मी।
*
बोली: ''इनको बदलो
साथ नये के हँस लो''।
*
#हिंदी_ब्लॉगिंग
संजीव 'सलिल'
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आन्या गुडिया प्यारी,
सब बच्चों से न्यारी।
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गुड्डा जो मन भाया,
उससे हाथ मिलाया।
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हटा दिया मम्मी ने,
तब दिल था भर आया।
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आन्या रोई-मचली,
मम्मी थी कुछ पिघली।
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''नया खिलौना ले लो'',
आन्या को समझाया।
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शाम को पापा आए
मम्मी पर झल्लाए।
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हुई रुआँसी मम्मी
आन्या ने ली चुम्मी।
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बोली: ''इनको बदलो
साथ नये के हँस लो''।
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