एक रचना
शिवानी
*
यहाँ न कोई जीत है १३
यहाँ न कोई हार है। १३
ज़िन्दगी की राह पर १२
बढ़े चलो! बढ़े चलो!! १२
*
हजारों दर्द मन्द हैं १३
खुशी के पल न चन्द हैं १३
गम मिला तो मत भुला १३
कि हसरतें बुलन्द हैं १२
किसी को दोस्ती, किसी को १४
आशकी की चाह है। १२
ज़िन्दगी की राह पर १२
बढ़े चलो! बढ़े चलो!! १२
*
न कर्म से हटो कभी, १२
न सत्य से डिगो कभी। १२
न हो किसी से दुख तुम्हें १३
न अश्क में बहो कभी। १२
समुद्र की तरह अनंत १३
शक्ति भी अथाह है। १४
ज़िन्दगी की राह पर १२
बढ़े चलो! बढ़े चलो!! १२
*
लगाए लाख लांछन १२
समय किसी प्रकार से। १२
न सूर्य ढक सका कभी १२
गगन के अंधकार से। १३
प्रताप! हो प्रताप कौन १३
किस तरह डिगाएगा? १३
हों लाख मुश्किलें मगर १३
कभी तो वक्त आयगा १३
तुम्हारे सामने झुके १३
हजार शहंशाह हैं १२
ज़िन्दगी की राह पर १२
बढ़े चलो! बढ़े चलो!! १२
*
शिवानी
*
यहाँ न कोई जीत है १३
यहाँ न कोई हार है। १३
ज़िन्दगी की राह पर १२
बढ़े चलो! बढ़े चलो!! १२
*
हजारों दर्द मन्द हैं १३
खुशी के पल न चन्द हैं १३
गम मिला तो मत भुला १३
कि हसरतें बुलन्द हैं १२
किसी को दोस्ती, किसी को १४
आशकी की चाह है। १२
ज़िन्दगी की राह पर १२
बढ़े चलो! बढ़े चलो!! १२
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न कर्म से हटो कभी, १२
न सत्य से डिगो कभी। १२
न हो किसी से दुख तुम्हें १३
न अश्क में बहो कभी। १२
समुद्र की तरह अनंत १३
शक्ति भी अथाह है। १४
ज़िन्दगी की राह पर १२
बढ़े चलो! बढ़े चलो!! १२
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लगाए लाख लांछन १२
समय किसी प्रकार से। १२
न सूर्य ढक सका कभी १२
गगन के अंधकार से। १३
प्रताप! हो प्रताप कौन १३
किस तरह डिगाएगा? १३
हों लाख मुश्किलें मगर १३
कभी तो वक्त आयगा १३
तुम्हारे सामने झुके १३
हजार शहंशाह हैं १२
ज़िन्दगी की राह पर १२
बढ़े चलो! बढ़े चलो!! १२
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