धुँधली
सी रोशनी है
धीमी सी आहट है
मन के क्षितिज पर
कोई सूरज उदित होने
को है !
कल्पना का पंछी
उड़ान भरने को बेकल
है
हे मेरे आराध्य
उसके डैनों में
इतनी शक्ति भर देना
कि
अपने गंतव्य तक
पहुँचने में
उसे कोई बाधा न आये
और प्रात की इस बेला
में
उसका मन उल्लास से
उत्साह से भर जाए !
उपकार होगा तुम्हारा
!
साधना
वैद
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