मुक्तिका -
अपना रिश्ता ढहा मकान
आया तूफां उड़ा मचान
*
जिसमें गाहक कोई नहीं
दिल का नाता वही दूकान
*
आँसू, आहें, याद हसीं
दौलत मैं हूँ शाहजहान
*
गम गुम हो गर दुनिया से
कैसे ख़ुशी बने मेहमान?
*
अजय न होना युग-युग तक
विजय मिटाये बना निशान
*
अपना रिश्ता ढहा मकान
आया तूफां उड़ा मचान
*
जिसमें गाहक कोई नहीं
दिल का नाता वही दूकान
*
आँसू, आहें, याद हसीं
दौलत मैं हूँ शाहजहान
*
गम गुम हो गर दुनिया से
कैसे ख़ुशी बने मेहमान?
*
अजय न होना युग-युग तक
विजय मिटाये बना निशान
*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें