एक रचना
संभावना की फसल
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सम्भावना की फसल
बंजर में उगायें।
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देव को दे दोष
नाहक भाग्य को कोसा।
हाथ पर धर हाथ
जब-जब ख्वाब को पोसा।
बिना कोशिश, किस तरह
मंज़िल करे बोसा?
बाँधकर मुट्ठी कदम
पथ पर बढ़ायें।
सम्भावना की फसल
बंजर में उगायें।
*
दर्द तेरा बने
मेरी आँख का आँसू।
श्वास का हो, आस से
रिश्ता तभी धाँसू।
सोचता मन व्यर्थ ही
कैसे-किसे फाँसू?
सर्वार्थ सलिला छोड़
मछली फड़फड़फड़ायें।
सम्भावना की फसल
बंजर में उगायें।
*
झोपड़ी में, राज-
महलों में न अंतर।
परिश्रम का फूँक दो
कानों में मंतर।
इत्र समता का करे
मन-प्राण को तर-
मीत! ममता-गीत
मन-मन गुनगुनायें।
सम्भावना की फसल
बंजर में उगायें।
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