लघुकथा:
घर
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दंगे, दुराचार, आगजनी, गुंडागर्दी के बाद सस्ती लोकप्रियता और खबरों में छाने के इरादे से बगुले जैसे सफेद वस्त्र पहने नेताजी जन संपर्क के लिये निकले। पीछे-पीछे चमचों का झुण्ड, बिके हुए कैमरे और मरी हुई आत्मा वाली खाखी वर्दी।
बर्बाद हो चुके एक परिवार की झोपड़ी पहुँचते ही छोटी सी बच्ची ने मुँह पर दरवाजा बंद करते हुए कहा 'आरक्षण की भीख चाहनेवालों के लिये यहाँ आना मना है। यह संसद नहीं, भारत के नागरिक का घर है।
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