लघुकथा-
सनसनाते हुए बाण
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चाहे न चाहे उसके कानों में पड ही जाते हैं बयान ''निकम्मी सरकार को तुरंत त्यागपत्र दे देना चाहिए, महिलाओं को पर्दे में रहना चाहिए, पश्चिमी संस्कृति के कारण हो रही हैं शील भंग की घटनाएँ, पुलिस व्यवस्था अक्षम है, लड़कों से जवानी के जोश में हो जाती हैं गलतियाँ, अपराधी अवयस्क है इसलिए उसे कठोर दंड नहीं दिया जा सकता, अपराधी को मृत्युदंड दिया जाना मानवाधिकार का उल्लंघन है, कानून बदला जाना चाहिए आदि आदि। एक भी बयान यह नहीं कहता कि निरपराध को मानवीय गरिमा के साथ जीवन जीने का अवसर इसलिए वह तैयार है आजीवन संगी बनने के लिये।
यह जानते हुए भी ये नपुंसक शब्दवीर मौका मिलने पर भिन्न आचरण नहीं करते, हर निर्भया विवश है झेलने के लिये अपनी वेदना के प्रति असंवेदनशील लोगों की जुबान से निकलते सनसनाते हुए बाण।
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