राजस्थान सरकार की लोक लुभावनी घोषणा और वैवाहिक ढांचा
अंतर्जातीय विवाह प्रोत्साहन : राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद् द्वारा स्वागत
जयपुर। राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद् ने राजस्थान सरकार के बजट में अंतर्जातीय विवाह को प्रोत्साहन देने की नीति का स्वागत किया है. उल्लेखनीय है कि मह्परिषद की जयपुर में संपन्न राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में
अंतर्जातीय विवाह को प्रोत्साहन देने तथा वर-वधु के समाजों द्वारा विरोध की स्थिति में उन्हें कायस्थ समाज में प्रवेश दिए जाने की नीति तय की गयी थी। महापरिषद के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष आचार्य संजीव 'सलिल' तथा राजस्थान संयोजक श्री सचिन खरे ने राजस्थान सरकार की अंतरजातीय विवाहों को प्रोत्साहित कर समरस्थापूर्ण सहिष्णु समाज के विकास की नीति का प्रथम दृष्टया स्वागत किया है।
राजस्थान की कांग्रेस सरकार के बजट में लोक लुभावनी घोषणाओं में सिर्फ अल्पसंख्यक समुदाय के लिए विशेष सहानुभूति का राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद ने स्वागत करते हुए आशा की है की यह सरकार अल्प संख्यकों के साथ साथ समाज के अन्य
सवर्ण वर्गों का भी ध्यान रखेगी और विशेष रूप से सवर्णों में आर्थिक रूप से पिछड़े
परिवारों के लिए कुछ योजनायें और नीति बनाये।
पूर्व से ही अंतरजातीय विवाह की पक्षधर राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद ने अंतरजातीय विवाह के लिए प्रोत्साहन राशि २५,००० से ५ लाख किये जाने को विचारणीय बताते हुए चिंता व्यक्त की है कि ५ लाख रूपए की बड़ी धनराशि मिलने के लोभ में प्रेम न होते हुए भी विवाह कर राशि पाने और कुछ बाद तलाक देकर फिर अंतरजातीय विवाह कर धनार्जन की व्यवसाय या खिलवाड़ प्रवृत्ति पनप सकती है समय जो सामाजिक वातावरण तथा वैवाहिक स्थायित्व के लिए घातक होगी ।
कुल मिलाकर राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद गहलोत सरकार के इस "चुनावी" बजट का स्वागत किया है | यदि सरकारों द्वारा जन हितैषी नीतियां केवल चुनाव पूर्व वर्षों में बनाना है तो राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त से भारत की जनता के हितार्थ "प्रतिवर्ष" चुनाव करवानें की प्रार्थना करेगा |
पूर्व से ही अंतरजातीय विवाह की पक्षधर राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद ने अंतरजातीय विवाह के लिए प्रोत्साहन राशि २५,००० से ५ लाख किये जाने को विचारणीय बताते हुए चिंता व्यक्त की है कि ५ लाख रूपए की बड़ी धनराशि मिलने के लोभ में प्रेम न होते हुए भी विवाह कर राशि पाने और कुछ बाद तलाक देकर फिर अंतरजातीय विवाह कर धनार्जन की व्यवसाय या खिलवाड़ प्रवृत्ति पनप सकती है समय जो सामाजिक वातावरण तथा वैवाहिक स्थायित्व के लिए घातक होगी ।
कुल मिलाकर राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद गहलोत सरकार के इस "चुनावी" बजट का स्वागत किया है | यदि सरकारों द्वारा जन हितैषी नीतियां केवल चुनाव पूर्व वर्षों में बनाना है तो राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त से भारत की जनता के हितार्थ "प्रतिवर्ष" चुनाव करवानें की प्रार्थना करेगा |
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