बाल कविता:
जल्दी आना ...
संजीव 'सलिल'
*
मैं घर में सब बाहर जाते,
लेकिन जल्दी आना…
*
भैया! शाला में पढ़-लिखना
करना नहीं बहाना.
सीखो नई कहानी जब भी
आकर मुझे सुनाना.
*
दीदी! दे दे पेन-पेन्सिल,
कॉपी वचन निभाना.
सिखला नच्चू , सीखूँगी मैं-
तुझ जैसा है ठाना.
*
पापा! अपनी बाँहों में ले,
झूला तनिक झुलाना.
चुम्मी लूँगी खुश हो, हँसकर-
कंधे बिठा घुमाना.
*
माँ! तेरी गोदी आये बिन,
मुझे न पीना-खाना.
कैयां में ले गा दे लोरी-
निन्नी आज कराना.
*
दादी-दादा हम-तुम साथी,
खेल करेंगे नाना.
नटखट हूँ मैं, देख शरारत-
मंद-मंद मुस्काना.
***
जल्दी आना ...
संजीव 'सलिल'
*
मैं घर में सब बाहर जाते,
लेकिन जल्दी आना…
*
भैया! शाला में पढ़-लिखना
करना नहीं बहाना.
सीखो नई कहानी जब भी
आकर मुझे सुनाना.
*
दीदी! दे दे पेन-पेन्सिल,
कॉपी वचन निभाना.
सिखला नच्चू , सीखूँगी मैं-
तुझ जैसा है ठाना.
*
पापा! अपनी बाँहों में ले,
झूला तनिक झुलाना.
चुम्मी लूँगी खुश हो, हँसकर-
कंधे बिठा घुमाना.
*
माँ! तेरी गोदी आये बिन,
मुझे न पीना-खाना.
कैयां में ले गा दे लोरी-
निन्नी आज कराना.
*
दादी-दादा हम-तुम साथी,
खेल करेंगे नाना.
नटखट हूँ मैं, देख शरारत-
मंद-मंद मुस्काना.
***
8 टिप्पणियां:
Mahipal Tomar
'सिद्ध कवि' सलिल जी की एक और अदायगी-' बाल कविता'
सरस , सरल , सुग्राह्य , बस , नमन नमन नमन ---------------नमन ।
Kiran Sinha
Sanjiv ji, is sundar, pyari baal kavita ke liye badhai.
Ati sunder.
sadar
Kiran Sinha
Pranava Bharti
क्या बात है संजीव जी!
याद आगई-------
पप्पा जल्दी आ जाना ,
छोटी सी गुडिया लाना--
नन्ही-मुन्नी सी मधुर रचना !
पूरे दिन मन में गुनगुन करती रहेगी
सादर
प्रणव
dks poet
आदरणीय सलिल जी,
सुंदर बाल रचना है। दाद कुबूलें।
सादर
धर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’
ksantosh_45@yahoo.co.in द्वारा yahoogroups.com
आ० सलिल जी
बाल मन को गुदगुदाने वाली सुन्दर कविता। बधाई।
सन्तोष कुमार सिंह
- amitasharma2000@yahoo.com
aree wah wah !
with regards.
sincerely
Dr.Amita
301-474-2860
301-509-2331
डॉक्टर अमिता आ जायें तो, सूई मत लगवाना।
लायें आइसक्रीम साथ में, जी भर मुझको खाना..
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.in
shar_j_n
:) :)
प्यार सा बालगीत!
सादर शार्दुल
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