चित्र पर कविता:
चित्र और कविता की कड़ी में संवाद, स्वल्पाहार, दिल-दौलत, प्रकृति, ममता, पद-चिन्ह, जागरण, परिश्रम, स्मरण, उमंग, सद्भाव, रसपान, विश्राम आदि के पश्चात् प्रस्तुत है नया चित्र निशाना. ध्यान से देखिये यह नया चित्र और रच दीजिये एक अनमोल कविता.
![](https://lh3.googleusercontent.com/blogger_img_proxy/AEn0k_s-LqK_vVHdJxeBLzsd4HTsElfKodetpRhIzEA9jFpjFd6mG_tuEnp37aHI6ve2jb1yf_F43cbEEPrhyl67LLZO5Owa_HqgqTOwfL8VynRit4GAd2jkHqQTpDDWdJYVZDbQV-6IXu7RGL7XDLuBXtOAdR3Ni8uF0Skm48hoo8Xampk=s0-d)
निशाना
इस स्तम्भ की अभूतपूर्व सफलता के लिये आप सबको बहुत-बहुत बधाई. एक से बढ़कर एक रचनाएँ अब तक प्रकाशित चित्रों में अन्तर्निहित भाव सौन्दर्य के विविध आयामों को हम तक तक पहुँचाने में सफल रहीं हैं. संभवतः हममें से कोई भी किसी चित्र के उतने पहलुओं पर नहीं लिख पाता जितने पहलुओं पर हमने रचनाएँ पढ़ीं.
चित्र और कविता की कड़ी में संवाद, स्वल्पाहार, दिल-दौलत, प्रकृति, ममता, पद-चिन्ह, जागरण, परिश्रम, स्मरण, उमंग, सद्भाव, रसपान, विश्राम आदि के पश्चात् प्रस्तुत है नया चित्र निशाना. ध्यान से देखिये यह नया चित्र और रच दीजिये एक अनमोल कविता.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें