मुक्तिका:
... अच्छा हुआ
संजीव 'सलिल'
*
मधुरता मिथ्या तजी मन से 'सलिल'
चिड़चिड़े हम हो गए अच्छा हुआ.
जुबां पर कुछ, मन में अपने और कुछ-
अब न होगा, हम न होंगे अब सुआ.
दीप्ति मन में सत्य की ज्योतित रहे
आपसे विनती यही करिए दुआ.
सत्य कडुआ जो नहीं हो बोलता.
देव! ऐसा मीत मत देना मुआ..
'सलिल' ढो मत फेंक कर उन्मुक्त हो
बहुत ढोया आस का तूने जुआ..
****
... अच्छा हुआ
संजीव 'सलिल'
*
मधुरता मिथ्या तजी मन से 'सलिल'
चिड़चिड़े हम हो गए अच्छा हुआ.
जुबां पर कुछ, मन में अपने और कुछ-
अब न होगा, हम न होंगे अब सुआ.
दीप्ति मन में सत्य की ज्योतित रहे
आपसे विनती यही करिए दुआ.
सत्य कडुआ जो नहीं हो बोलता.
देव! ऐसा मीत मत देना मुआ..
'सलिल' ढो मत फेंक कर उन्मुक्त हो
बहुत ढोया आस का तूने जुआ..
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1 टिप्पणी:
guddo dadi
संजीव नन्हूं भाई
आशीर्वाद देव!
ऐसा मीत मत देना मुआ.. बहुत ढोया आस का तूने जुआ.. (जिन्दगी भी तो जुआ है हार सभी की निश्चित )
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