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गुरुवार, 24 जून 2010

मुक्तिका: ..... आँख का पानी. --संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:

आँख का पानी

संजीव वर्मा 'सलिल'
*


















*
आजकल दुर्लभ हुआ है आँख का पानी.
बंद पिंजरे का सुआ है आँख का पानी..

शिलाओं को खोदकर नाखून टूटे हैं..
आस का सूखा कुंआ है आँख का पानी..

द्रौपदी को मिल गया है यह बिना माँगे.
धर्मराजों का जुआ है आँख का पानी..

मेमने को जिबह करता शेर जब चाहे.
बिना कारण का खुआ है आँख का पानी..

हजारों की मौत भी उनको सियासत है.
देख बिन बोले चुआ है आँख का पानी..

किया मुजरा, मिला नजराना न तो बोले-
जहन्नुम जाए मुआ! है आँख का पानी..

देवकी राधा यशोदा कभी विदुरानी.
रुक्मिणी कुंती बुआ है आँख का पानी..

देख चन्दा याद आतीं रोटियाँ जिनको
दिखे सूरज में पुआ है आँख का पानी..

भजन प्रवचन सबद साखी साधना बानी
'सलिल' पुरखों की दुआ है आँख का पानी..

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दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम

6 टिप्‍पणियां:

Dr Subhash Rai ने कहा…

Snjeevjee, bahut achchha najaara hai yahan. rukane ka man kar raha hai magar daftar men hoon. main to apni vah bhai vah dhundhte yahan a gaya. aap un do laino ka pata batayen to dekhoon. achchha lage to yahan mere naam ki tippadi ki tarah post kar den. dhanyvad.
www.bat-bebat.blogspot.com

madanmohanarvind@gmail.com ने कहा…

आचार्य ji
कमाल कर दिया. अति श्रेष्ठ.
बधाई स्वीकारें.
मदन मोहन 'अरविन्द'

Sanjiv Verma 'Salil' ने कहा…

बिम्ब सलिल में दिख रहा, नहीं तनिक भी श्रेय.
सुन्दरता अरविन्द की, सकल सृष्टि को ज्ञेय..

मोह रहा जो मदन को, उसकी पा परछाई.
चमक रहा है सलिल भी, रज्नीश्वर की नाईं..

धन्यवाद

ahutee@gmail.com ने कहा…

आ० आचार्य जी,
" आँख का पानी " पर आपकी कल्पनाओं का नहीं सानी !
पहला और दूसरा दोनों ही बंद प्रभावशाली है | बधाई
कमल

Sanjiv Verma 'Salil' ने कहा…

कलम 'कमल' की ही तरह, रचती मनहर रूप.
जग करता तारीफ, हो छाया चाहे धूप..

'सलिल' सिर्फ माध्यम बने, सत्य सभी को ज्ञेय.
आप स्नेह आशीष में, देते मुझको श्रेय..

achal verma ekavita ने कहा…

लाजवाब

Your's ,

Achal Verma