गीत
सफर अधूरा लगता है
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मीत-प्रीत बिन गीत का सफर अधूरा लगता है
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चरण करें अभिषेक पंथ का
नयन करें नित संग ग्रंथ का
चल गिर उठ बढ़ बिना रुके तू
बिना रुके तू, बिना झुके तू
मोह-छोह बिन रीत का सफर अधूरा लगता है
मीत-प्रीत बिन गीत का सफर अधूरा लगता है
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मन में मनबसिया बैठा है
चाहे-अनचाहे पैठा है
राधा कैसे कहो निकाले
जब राधा को वही सम्हाले
हार मिले बिन जीत का सफर अधूरा लगता है
मीत-प्रीत बिन गीत का सफर अधूरा लगता है
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मनमानी कर मन की बातें
मुई सियासत करती घातें
बिना सिया-सत राम नाम ले
भक्ति भूल आसक्ति थाम ले
बिना राग संगीत का सफर अधूरा लगता है
मीत-प्रीत बिन गीत का सफर अधूरा लगता है
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